इलेक्ट्रिक व्हीकल की बढ़ रही डिमांड 2030 तक, देश के कुल वाहनों का 30% इलेक्ट्रिक
रायपुर : प्रदूषण को रोकने और प्रति किमी वाहनों की लागत को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ रही हैं। सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) के अनुसार, पिछले 3 वर्षों में, ई-कारों में लगभग छह गुना वृद्धि हुई है और ई-टू व्हीलर्स में लगभग नौ गुना वृद्धि हुई है। फिर भी सबसे बड़ी चुनौती बैटरी की लागत है, जो वाहन की लागत का लगभग 35% है। हालांकि, पिछले नौ वर्षों में इसकी लागत में 90% की गिरावट आई है। अगले दो से तीन वर्षों में 50% की कमी होगी। दो साल में देश में बैटरी का निर्माण भी शुरू हो जाएगा।
एक अध्ययन के अनुसार, 2030 में देश में इलेक्ट्रिक बैटरी बाजार $ 300 बिलियन का होगा। वर्तमान में, ई-वाहनों में बैटरी की लागत 35% है। तकनीकी सुधार और वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण यह घटकर 16% रह जाएगा। देश को 2030 तक 60 हजार मीट्रिक टन लिथियम की आवश्यकता होगी। 2025 तक देश में बेचे जाने वाले नए दोपहिया वाहन इलेक्ट्रिक होंगे।
कुछ वाहनों में बैटरी सौ डॉलर प्रति किलोवाट घंटा (kWh) तक गिर गई है, हालांकि औसत कीमत लगभग $ 139 प्रति किलोवाट है। वहीं, 2010 में बैटरी की कीमत 1100 डॉलर प्रति किलोवाट थी। यह अब लगभग सौ डॉलर के नीचे है। 2030 तक, देश के कुल वाहनों का 30% इलेक्ट्रिक होगा। देश में इस्तेमाल होने वाले कुल पेट्रोलियम उत्पाद का 18% वाहनों में है।
अगर ई-वाहन बढ़ते हैं, तो देश का आयात बिल कम हो जाएगा। आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में कहा गया है कि 2030 तक, निजी कारों में ई-वाहनों की हिस्सेदारी 38%, वाणिज्यिक कारों में 70%, बसों में 40%, दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 80% होगी। 84.6 मिलियन टन उत्सर्जन और 47.4 मिलियन टन तेल बचाया जा सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ने पर लागत में कमी आएगी। देश में डीजल और पेट्रोल से चलने वाली कारों की कीमत लगभग पांच से छह रुपये प्रति किलोमीटर है। जबकि ई-वाहन की लागत लगभग एक रुपये किलोमीटर आती है। देश में ई-वाहन बनाने वाली 150 से अधिक कंपनियां हैं। ई-वाहन की कुल वाहन बिक्री का 1% हिस्सा है। वहीं, ई-वाहनों के लिए बैंकों से ऋण आसानी से उपलब्ध नहीं है,जो की एक चुनौती हैं।
बैटरी अभी आयात होती हैं। लेड आधारित बैटरी भारी होती हैं और दो-तीन साल ही चलती हैं।चार्जिंग नेटवर्क ई-व्हीकल्स के लिए चार्जिंग सुविधा नहीं है। बेंगलुरू और दिल्ली जैसे शहरों में भी चार्जिंग स्टेशन अपर्याप्त हैं, जबकि पेट्रोल पंप की तरह चार्जिंग स्टेशन होने चाहिए। कीमत अभी देश में चार पहिया ई- व्हीकल्स की कीमत डीजल या पेट्रोल वाहन की तुलना में करीब दोगुनी है।
बैटरी निर्माण के लिए 2022 से 2030 तक विभिन्न प्रोग्राम के तहत 31,600 करोड़ रुपए का फंड देंगे। एडवांस्ड सेल केमिस्ट्री बैटरी के लिए 2022-2026 तक 18,100 करोड़ की स्कीम मंजूर हो चुकी है। भारी उद्योग मंत्रालय ने हाईवे पर 1,544 चार्जिंग स्टेशन के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जारी किए हैं। शहरों में 2,636 चार्जिंग स्टेशन बनाने को मंजूरी।
ई-व्हीकल मार्च 2023 से पहले खरीदने पर कर्ज के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक आयकर छूट हैं। हैदराबाद की बैटरी निर्माता कंपनी रोशन एनर्जी का अमेरिकी बैटरी कंपनी बेरल एनर्जी से करार हुआ है। दो साल में बैटरी बनने लगेगी। गुजरात, तमिलनाडु सहित कुछ अन्य राज्यों में भी बैटरी बनेगी। सरकार की प्रोडक्शन लिंक स्कीम से कंपनियों को फायदा।