घटी स्टॉक लिमिट, अब कम गेहूं रख पाएंगे व्यापारी, जानिए सरकार के इस कदम का क्या होगा असर?

नई दिल्ली/सूत्र: केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में गेहूं के दाम बढने से रोकने के लिए एक बार फिर से गेहूं की स्टॉक लिमिट घटा दी है. गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल प्रभाव से थोक व्यापारियों, बड़ी रिटेल और प्रोसेसिंग कंपनियों के लिए गेहूं का स्टॉक लिमिट को आधी कर दिया गया है. इससे पहले 8 दिसंबर, 2023 को लिमिट घटाई थी. तब सरकार ने स्टॉक लिमिट को 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन कर दिया था. अब इसे घटाकर 500 टन कर दिया गया है।

प्रत्येक खुदरा कारोबारी अपने आउटलेट पर पहले की तरह 5 टन गेहूं का स्टॉक रख सकेगा. हालांकि बड़े रिटेल चेन गेहूं का कम स्टॉक रख पाएंगे. पहले इनको प्रत्येक आउटलेट पर 5 टन गेहूं और सभी डिपो पर 1000 टन गेहूं का स्टॉक रखने की अनुमति थी. लेकिन अब प्रत्येक आउटलेट पर तो पहले जितना 5 टन स्टॉक रख सकते हैं. सभी डिपो पर अब 500 टन स्टॉक ही रखने की अनुमति होगी।

प्रसंस्करण कंपनियों के लिए भी घटी लिमिट

गेहूं का प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों के लिए भी स्टॉक लिमिट में कटौती की गई है. अभी तक वर्ष 2023-24 के बाकी महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत रख सकती हैं. लेकिन अब वे अप्रैल 2024 तक बाकी बचे महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 60 फीसदी गेहूं रख पाएंगे।

हर शुक्रवार को देनी होगी स्टॉमक की जानकारी

केंद्र सरकार ने गेहूं का स्टॉक रखने वाले हर व्यापारी को हर सप्ताह शुक्रवार को पोर्टल पर अपने स्टॉक की जानकारी देने का भी आदेश दिया है. गेहूं का स्टॉक करने वाली सभी संस्थानों को vegoils.nic.in पर पंजीकरण करना होगा. प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक स्थिति इसी पोर्टल पर अपडेट करना होगा. कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई गई या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

खुले बाजार में सरकार ने बेचा 80 लाख टन गेहूं

केंद्र सरकार गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार में गेहूं की बिक्री भी कर रही है. सरकार ने 2,150 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 101.5 लाख टन गेहूं भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से ई—नीलामी द्वारा खुले बाजार में बेचने के लिए जारी किया था. इसमें से अब तक 80.04 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचा जा चुका है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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