सरकारी सर्वे: पान-तंबाकू पर जमकर पैसा फूंक रहे लोग, शिक्षा पर खर्च घटा
नई दिल्ली/सूत्र: पिछले एक दशक के दौरान देश में पान, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों की खपत बढ़ी है। बहुत से लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा ऐसे उत्पादों पर खर्च कर रहे हैं। यह जानकारी हाउसहोल्ड कंजप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे 2022-23 से आई है, जिसका डेटा पिछले हफ्ते नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) ने जारी किया था।
दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में नशीले उत्पादों पर खर्च बढ़ा है। सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि 2011-12 के दौरान ग्रामीण इलाकों में लोगों ने नशीले उत्पादों पर 3.21 फीसदी खर्च किया, जो 2022-23 में बढ़कर 3.79 फीसदी हो गया।
वहीं, शहरी इलाकों की बात करें तो 2011-12 में वहां लोगों ने पान-तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों पर 1.61 फीसदी खर्च किया. 2022-23 में यह बढ़कर 2.43 फीसदी हो गई।
गौरतलब है कि इसी अवधि में शहरी इलाकों में शिक्षा पर खर्च का अनुपात 6.9 फीसदी से घटकर 5.78 फीसदी हो गया. यही प्रवृत्ति ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखी गई। यहां व्यय अनुपात 3.49 फीसदी से घटकर 3.3 फीसदी पर आ गया।
यह सर्वेक्षण शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की खान-पान की आदतों में बदलाव की भी झलक देता है। खासकर पेय पदार्थ और प्रोसेस्ड फूड लोगों को ज्यादा पसंद आ रहा है।
2011-12 में शहरी क्षेत्रों में पेय पदार्थों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर व्यय 8.98 प्रतिशत था, जो 2022-23 में बढ़कर 10.64 प्रतिशत हो गया है। ग्रामीण इलाकों में भी लोगों का इन चीजों पर खर्च 7.90 फीसदी से बढ़कर 9.62 फीसदी हो गया।
क्यों होता है इस तरह का सर्वे?
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनएसएसओ हर साल यह सर्वेक्षण करता है। इसका मकसद यह पता लगाना है कि आम आदमी के खर्च में किस तरह बदलाव आ रहा है। अलग-अलग राज्यों और शहरों में लोगों का खर्च करने का तरीका क्या है? इस सर्वे के आधार पर सरकार को अपनी योजनाएं बनाने में भी मदद मिलती है।