क्या मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए 24 घंटे भर्ती रहना जरूरी है? जानिए सरकार अब क्या करने जा रही है

नई दिल्ली/सूत्र: बीमा क्लेम करने के लिए कम से कम 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहना जरूरी है. ऐसा न होने पर बीमा कंपनियां मेडिकल क्लेम का भुगतान करने से मना कर देती हैं। लेकिन मेडिकल क्षेत्र में प्रगति के बाद अब सर्जरी या इलाज कुछ ही घंटों में पूरा हो जाता है तो क्या बीमा क्लेम करने के लिए 24 घंटे भर्ती रहना जरूरी है? उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का कहना है कि वह इस बारे में बीमा नियामक IRDAI और वित्तीय सेवा विभाग (DFS) से बात करेगा।

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के प्रमुख ने रविवार को यह मुद्दा उठाया, राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रसाद साही ने कहा कि अगर किसी मरीज को कम से कम 24 घंटे तक भर्ती नहीं किया जाता है, तो उसका मेडिकल दावा स्वीकार नहीं किया जाता है। ऐसा अक्सर मेडिकल दावों और मेडिकल लापरवाही के मामलों में देखा जाता है। कुछ जिला फोरम ने 23.5 घंटे के अंदर भी दावों का भुगतान करने का आदेश दिया है, उनका तर्क है कि कई तरह की सर्जरी में अब 24 घंटे से भी कम समय लगता है। इसलिए बीमा कंपनियों को इस बारे में जागरूक करने की जरूरत है।

नहीं है जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर

जस्टिस साही ने कहा कि पंजाब और केरल के जिला उपभोक्ता आयोग ने मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम के मामले में ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। अगस्त में फिरोजपुर जिला उपभोक्ता आयोग ने भी ऐसा ही फैसला सुनाया था, मरीज को 24 घंटे से कम समय के लिए भर्ती कराने पर बीमा कंपनी ने क्लेम खारिज कर दिया था। इस पर आयोग ने कंपनी को सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया था। एनसीडीआरसी प्रमुख ने कहा कि शिकायतों का समाधान तेजी से किया जा रहा है लेकिन आयोग को अपने आदेशों को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमें सिविल कोर्ट की तरह आदेश लागू करने की शक्तियां मिली हैं, लेकिन हमारे पास इसके लिए जरूरी बुनियादी ढांचा नहीं है, यदि इस संबंध में एक मानकीकृत योजना लाई जाती है, तो इससे उपभोक्ता न्याय मजबूत होगा।

इस बीच, केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमान ने सूत्रों को बताया कि उपभोक्ताओं के हित में, हम इस मुद्दे को आईआरडीए और डीएफएस के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले भी उन्होंने दस्तावेजीकरण और प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए बीमा नियामक से बात की थी, हमारा ध्यान समाधान खोजने और विवादों को कम करने पर है।’ उपभोक्ता मामलों के सचिव ने जिला और राज्य स्तर पर उपभोक्ता आयोगों के प्रयासों की सराहना की। इस साल उन्होंने 1.77 लाख शिकायतों का निपटारा किया जबकि 1.61 लाख नये मामले दर्ज किये गये. इसी तरह एनसीडीआरसी ने इस साल 200 फीसदी मामलों का निपटारा किया।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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