सरकार ने बदला HRA पाने के नियम, जानिए अब मिलेगा या नहीं

नई दिल्ली/सूत्र : सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले हाउस रेंट अलाउंस (HRA) के नियमों में बदलाव किया है. नए नियम लागू होने के बाद अब कुछ कर्मचारियों को हाउस रेंट अलाउंस नहीं मिलेगा. यदि कोई वेतनभोगी किराए के मकान में रहता है तो उसे मकान किराया भत्ता मिलता है। एचआर पर टैक्स छूट भी मिलती है। हाउस रेंट अलाउंस सैलरी का अहम हिस्सा होता है।

वित्त मंत्रालय ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एचआरए नियमों में बदलाव की जानकारी दी है. ऐसे में अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं तो पता होना चाहिए कि अब आपको एचआरए पाने के लिए किन शर्तों का पालन करना होगा। नए नियमों के मुताबिक अब अगर कर्मचारी किसी अन्य सरकारी कर्मचारी को दिए गए सरकारी आवास को साझा करता है तो वह एचआरए पाने का हकदार नहीं है।

अगर कर्मचारी के माता-पिता, बेटे या बेटी को केंद्र या राज्य सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और नगर निगम, पोर्ट ट्रस्ट, राष्ट्रीयकृत बैंक, एलआईसी आदि जैसे अर्ध-सरकारी संगठन द्वारा घर आवंटित किया गया हो और वह उसमें रह रहा हो। तो अब किराया भत्ता नहीं मिलेगा।

क्या है एचआरए- एचआरए या हाउस रेंट अलाउंस एक कर्मचारी के वेतन का एक हिस्सा है जो नियोक्ता द्वारा किराए के आवास के लिए किए गए खर्चों के लिए दिया जाता है। एचआरए का दावा केवल वेतनभोगी व्यक्ति ही कर सकते हैं। जिस घर में वेतनभोगी व्यक्ति रह रहा है वह किराए पर होना चाहिए। अपने ही घर में रहने का लाभ नहीं मिलता। एचआरए तभी मिलता है जब किराया सैलरी के 10 फीसदी से ज्यादा हो।

कोई भी सरकारी वेतनभोगी व्यक्ति जो किराए के घर में रह रहा है, उसके घर के खर्च को 3 श्रेणियों X, Y और Z में बांटा गया है। ‘X’ श्रेणी 50 लाख और उससे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों के लिए है। यहां 7वें वेतन आयोग के तहत एचआरए 24 फीसदी दिया जाता है। ‘Y’ 5 लाख से 50 लाख के बीच आबादी वाले क्षेत्र के लिए 16 फीसदी एचआरए दिया जाता है। जहां की आबादी 5 लाख से कम है वहां Z कैटेगरी में आता है और 8 फीसदी मकान किराया भत्ता दिया जाता है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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