राज्यों में ओपीएस अपनाने से होगा भारी नुकसान, आरबीआई ने दी चेतावनी

नई दिल्ली/सूत्र: तीन बड़े राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद माना जा रहा है कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने को लेकर बहस अब धीमी हो जाएगी। ऐसे में कुछ राज्यों में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) को खत्म करने और ओपीएस लागू करने के फैसले पर आरबीआई ने एक बार फिर राज्यों को चेतावनी दी है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि यह पीछे की तरफ जाने वाला एक बड़ा कदम है जो आर्थिक सुधारों की वजह से जो फायदे हुए हैं उस पर पानी फेर सकता है।

आरबीआई ने यह टिप्पणी 11 दिसंबर, 2023 को जारी राज्यों की वित्तीय स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट में की है। हालांकि, वर्ष 2022-23 और 2023-24 में राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत होती दिख रही है। अधिकांश राज्यों के खजाने मजबूत हो रहे हैं और उन्हें राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में सफलता मिल रही है।

ओपीएस लागू करना बड़ी चुनौती

आरबीआई ने कहा है कि वर्ष 2021-22 और 2022-23 में राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार का रुझान चालू वित्त वर्ष के दौरान भी जारी रहने की संभावना है। लेकिन कुछ चुनौतियाँ हैं जिनका समाधान करने की आवश्यकता है। इसमें ओपीएस के क्रियान्वयन को सबसे बड़ी चुनौती के रूप में पहचाना गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कुछ राज्य पहले ही ओपीएस लागू कर चुके हैं और कुछ अन्य राज्यों में भी इसे लागू करने की बात चल रही है।

ये लोग 2060 तक आसानी से पेंशन का लाभ उठा सकेंगे

आंतरिक अध्ययन से पता चलता है कि यदि सभी राज्यों ने एनपीएस के स्थान पर ओपीएस लागू किया, तो राज्य सरकारों पर कुल पेंशन बोझ 4.5 गुना बढ़ जाएगा। वर्ष 2060 तक, राज्य के बजट के सापेक्ष पेंशन व्यय में सालाना 0.9 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि होगी। राज्य पहले से ही लागू ओपीएस के बोझ तले दबे हुए हैं।

पुराना ओपीएस लेने वाले सरकारी कर्मचारियों की फौज साल 2040 में रिटायर हो जाएगी, वे साल 2060 तक आसानी से पेंशन इकट्ठा कर लेंगे, लेकिन जब एनपीएस कर्मचारियों को भी ओपीएस में शामिल करने का फैसला लिया गया है तो राज्यों पर पड़ने वाले बोझ को आसानी से समझा जा सकता है।

केंद्र में OPS को दोबारा लागू करने की कोई योजना नहीं: वित्त मंत्रालय

केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि उसके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है जिसके तहत केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को दोबारा लागू करने की बात हो, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। उन्होंने यह भी बताया कि नई पेंशन योजना के संदर्भ में आने वाले मुद्दों और क्या मौजूदा प्रणाली के तहत किसी बदलाव की आवश्यकता है, इस पर गौर करने के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।

साथ ही, केंद्र सरकार ने फिर से स्पष्ट किया है कि मौजूदा कानून के तहत नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत अपने ग्राहकों और सरकारों के हिस्से से उत्पन्न धनराशि राज्य सरकारों को वापस की जा सकती है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने केंद्र को सूचित किया है कि उन्होंने अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस के स्थान पर ओपीएस लागू किया है। इन राज्यों ने भी एनपीएस में अब तक अपना योगदान वापस लेने का अनुरोध किया है। लेकिन संबंधित पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 में ऐसे किसी व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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