‘ई-रूपी बाय एसबीआई’ लॉन्च: यूजर्स अब यूपीआई के माध्यम से डिजिटल मुद्रा में कर सकेंगे लेनदेन

रायपुर/सूत्र: भारतीय स्टेट बैंक ने सोमवार 4 सितंबर से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की डिजिटल करेंसी को UPI से जोड़ दिया है। इसका मतलब यह है कि अब एसबीआई ग्राहक भी यूपीआई के जरिए डिजिटल करेंसी (e-रूपी) का लेनदेन कर सकेंगे। इसके लिए यूजर्स को ‘e-Rupee by SBI’ ऐप डाउनलोड करना होगा।

एसबीआई से पहले देश के 6 बड़े बैंक- यस बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी, केनरा बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा इस सेवा को लागू कर चुके हैं। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) कार्यक्रम आरबीआई द्वारा पिछले साल दिसंबर में लॉन्च किया गया था। एसबीआई इस कार्यक्रम के पायलट प्रोजेक्ट में शामिल बैंकों में से एक था।

डिजिटल ई-रूपी क्या है?

ई-रूपी कागजी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है, जो क्रिप्टो करेंसी की तरह ब्लॉक-चेन तकनीक पर आधारित है। इसकी कीमत भी मौजूदा करेंसी के बराबर है. यह 100, 200 या 500 रुपये के नोट की तरह ही सरकार की लीगल टेंडर है, जिसे कोई भी स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकता है। ई-रूपी को मोबाइल वॉलेट में ही रखा जा सकता है। इसे रखने के लिए बैंक खाते की जरूरत नहीं है. ये दो प्रकार के होते हैं- सीबीडीसी होलसेल और सीबीडीसी रिटेल।

ई-रूपी यूपीआई से कैसे अलग है?

यूपीआई के जरिए लेनदेन करने के लिए बैंक खाते में पैसा होना जरूरी है। इसके लिए या तो आपको फिजिकल करेंसी को खुद खाते में जमा करना होगा या कहीं से अपने बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कराने होंगे। इसका मतलब यह है कि इस हस्तांतरण को संभव बनाने के लिए किसी को केवल एक बार खाते में भौतिक मुद्रा जमा करनी होगी। लेकिन ई-रुपीमें भौतिक मुद्रा को एक बार भी खाते में जमा नहीं करना पड़ता है।

जबकि, ई-रुपी में लेनदेन के लिए बैंक खाते की आवश्यकता नहीं होती है। RBI भौतिक मुद्रा के बजाय सीधे डिजिटल वॉलेट में पैसा ई-रुपीट्रांसफर करता है। इसका मतलब यह है कि आप अपनी जेब या चमड़े के बटुए में नोट रखने के बजाय ई-रुपीको अपने बटुए में रख सकेंगे और लेनदेन कर सकेंगे। यह डिजिटल वॉलेट बैंक द्वारा जारी किया जाता है।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि फोन-पे, पेटीएम, गूगल-पे जैसी अन्य भुगतान प्रणालियों में लेनदेन के बाद बैंक सेटलमेंट की आवश्यकता होती है, यानी इन प्लेटफॉर्म पर आपका लेनदेन कम से कम एक बैंक से होकर गुजरता है। जबकि ई-रुपीकैश की तरह सीधे QR कोड को स्कैन करके किया जा सकता है।

आरबीआई के मुताबिक, भारत में 100 रुपये का एक नोट छापने में 15-17 रुपये का खर्च आता है। एक करेंसी नोट अधिकतम चार साल तक चलता है। सेंट्रल बैंक को नए नोट छापने होते हैं जिनकी कीमत करोड़ों रुपये है। वित्त वर्ष 2021-22 में आरबीआई ने 4.19 लाख अतिरिक्त नोट छापे थे. जबकि डिजिटल मुद्रा को मामूली लागत पर जारी किया जा सकता है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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