पंचायती राज दिवस की 30वीं वर्षगांठ पर पंचायत सचिव भूख हड़ताल पर बैठे
गरियाबंद : आधुनिक भारत में 24 अप्रैल 1993 को पंचायत राज लागू हुआ एवं 73 वा संविधान संशोधन आधुनिक भारत का मील का पत्थर है। समग्र विकास के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू हुआ, जिसमें जिला, जनपद, ग्राम पंचायत इकाई की व्यवस्था की गई। जिला एवं जनपद स्तर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत सचिव को विकास का बागडोर दिया गया। इस व्यवस्था के आधार पर देश एवं राज्यों की तस्वीर बदली।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में 27 जिला पंचायत,146 जनपद पंचायत एवं 11656 ग्राम पंचायतों में बसे ग्रामीण परिवार तेजी से विकास के कीर्तिमान गढ़ रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार के साथ मिलकर पंचायत सचिव ने बड़ी मेहनत की है, किंतु प्रदेश सरकार द्वारा विकास की अंतिम इकाई पंचायत सचिवों का निरंतर शोषण किया है। जिला एवं जनपद पंचायत का मुखिया मुख्य कार्यपालन अधिकारी को प्रशासनिक पद घोषित कर, सम्पूर्ण सुविधाएं एवं अधिकार दिए गए हैं, किंतु ग्राम पंचायत इकाई के मुखिया पंचायत सचिव को 30 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद भी आज तक शासकीय कर्मचारी घोषित नहीं किये गए है।
प्रदेश पंचायत सचिव संघ के आह्वान पर वर्तमान सरकार द्वारा बार-बार ठगे जाने से नाराज होकर 11656 पंचायतों में ताला बंद कर, पंचायत सचिव 16 मार्च 2023 से काम बंद कलम बंद हड़ताल पर हैं। हड़ताल को अनवरत रूप से 40 दिन पूर्ण हो गए हैं, किंतु शासन से कोई भी सकारात्मक पहल प्राप्त नहीं हुआ है। पंचायत सचिवों ने भी आज पंचायत राज स्थापना दिवस, से क्रमिक भूख हड़ताल प्रारंभ कर दिया है। समय की विडंबना देखिए कि 30 वर्षों से जवाबदारी का बोझ अपने कंधों पर उठाए, अपने हक के लिए भूखे रहकर हड़ताल करना पड़ रहा है। पंचायत सचिवों ने कहां है कि मांग पूर्ति तक यह आंदोलन आगे भी जारी और उग्र रूप में क्रमिक भूख हड़ताल, आमरण अनशन के रूप में जारी रहेगा।