बिच्छू पालन: जानिए कैसे 28 साल की उम्र में ही बिच्छुओं ने बना दिया करोड़पति
रायपुर/सूत्र: आपने गाय, भैंस, बकरी और भेड़ पालने वाले लोगों के बारे में सुना होगा। लेकिन, क्या आपने सुना है कि कोई बिच्छू भी पालता है (Scorpion Farming). वो भी शौक के लिए नहीं, बल्कि कमाई के लिए. अगर नहीं सुना तो आज जान लीजिए. मिस्र की राजधानी काहिरा में रहने वाले 28 साल के मोहम्मद हमदी बिच्छू पालते हैं। मिस्र में अलग-अलग जगहों पर बने उनके फार्मों पर 80 हजार से ज्यादा बिच्छू हैं। इनके अलावा वे सांप भी पालते हैं। मोहम्मद हमदी बिच्छू और सांप का जहर बेचता है। इस बिजनेस ने उन्हें कुछ ही सालों में करोड़पति बना दिया है. अकेले बिच्छू के जहर की एक ग्राम कीमत 8 लाख रुपये से भी ज्यादा है।
मोहम्मद हामदी की कंपनी काहिरा वेनोम कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये है। काहिरा वेनम अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में दवा कंपनियों को बिच्छू और सांप का जहर बेचती है। एक ग्राम सूखा जहर बनाने के लिए कंपनी को एक हजार बिच्छुओं की जरूरत होती है।
मोहम्मद हमदी पुरातत्व में स्नातक हैं, बिच्छुओं ने उन्हें शुरू से ही आकर्षित किया। वे मिस्र के विशाल रेगिस्तान में बिच्छू पकड़ते थे। ऐसा करते समय उनके मन में बिच्छू के जहर का व्यवसाय करने का विचार आया। उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई छोड़ दी और बिच्छू पालने लगे। सबसे पहले उन्होंने काहिरा में एक फार्म बनाया। जैसे-जैसे काम आगे बढ़ता गया, वह विस्तार करते गए। बिच्छुओं के साथ-साथ वह साँप भी पालने लगा।
ऐसे निकाला जाता है जहर- बिच्छू को पालना और उसका जहर निकालना बहुत ही जटिल काम है। बिच्छुओं को विशेष रूप से बने बक्सों में रखा जाता है। इनमें न केवल उन्हें प्राकृतिक वातावरण प्रदान करने के लिए रेत रखी जाती है, बल्कि तापमान और भोजन का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। बिच्छू के डंक मारने पर जहर निकलता है। बिच्छू को पकड़कर अल्ट्रावॉयलेट लाइट की मदद से हल्का सा बिजली का झटका दिया जाता है। बिजली का झटका लगते ही बिच्छू डंक मारता है और जहर एक जार में आ जाता है। जहर को -18 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जाता है।
दवा बनाने में उपयोग किया जाता है- सूत्रों की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक ग्राम बिच्छू के जहर से एंटीवेनम की लगभग 20,000 से 50,000 खुराक बनाई जा सकती हैं। मोहम्मद हमदी यूरोप और अमेरिका को बिच्छू के जहर की आपूर्ति करता है। यहां दवा निर्माता कंपनियां इसका उपयोग एंटीवेनम खुराक और उच्च रक्तचाप जैसी विभिन्न बीमारियों के लिए दवाएं बनाने में करती हैं।