जानिए क्या है? पीक मार्जिन रूल
रायपुर : शेयर बाजार पर नजर रखने वाले सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने पीक मार्जिन के लिए नए नियम लागू किए हैं। आमतौर पर ब्रोकर शेयर बाजार में शेयर खरीदते और बेचते समय मार्जिन देते हैं। आसान शब्दों में समझें तो आप अपने ट्रेडिंग खाते में 10 हजार रुपये डाले हैं तो। 1 लाख रुपये तक के शेयर 10 गुना मार्जिन के साथ आसानी से खरीद लेते थे।
लेकिन अब ये नियम पूरी तरह बदल चुके हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई खुदरा निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के 1 लाख रुपये के शेयर खरीदता है, तो ऑर्डर देने से पहले उसके ट्रेडिंग खाते में कम से कम 75000 रुपये होने चाहिए। बाकी पैसे का भुगतान T+1 या T+2 दिनों में या ब्रोकर के निर्देशानुसार किया जा सकता है। सेबी के नए नियमों के मुताबिक शेयर बेचते समय भी आपके ट्रेडिंग खाते में मार्जिन होना चाहिए।
इसका मतलब यह है कि क्लियरिंग कॉरपोरेशन आपके द्वारा दिन भर में किए गए ट्रेडों (शेयरों को खरीदें और बिक्री) के चार स्नैप शॉर्ट्स लेगा। इसका मतलब है कि चार बार यह देखेगा कि दिन में किए गए ट्रेडों में कितना मार्जिन है। उसके आधार पर, दो उच्चतम मार्जिन होंगे और इसकी गणना की जाएगी। फिलहाल आपको इसके लिए कम से कम 75 फीसदी मार्जिन रखना होगा। यदि आप नहीं रखते हैं, तो आपको इसके एवज में दंड मिलेगा। यह नियम 1 जून 2021 से शुरू हुआ था।
पिछले कुछ महीनों में कई मामले सामने आए हैं। जिसमें आम निवेशकों के शेयर बिना बताए बेच दिए गए। जानकारों का कहना है कि सेबी ने जानबूझकर इस नियम को लागू किया है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं। ये शेयर बुधवार को आपके खाते से डेबिट हो जाएंगे। लेकिन, अगर आप मंगलवार को (डेबिट से पहले) इन शेयरों को किसी और को ट्रांसफर करते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम होगा।
ऐसा होने से रोकने के लिए ब्रोकिंग कंपनियों के पास हथियार हैं। 95% मामलों में ऐसा नहीं होता है। सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है ताकि 5 फीसदी मामलों में ऐसा न हो। यह पीक मार्जिन का तीसरा चरण है। पहला चरण दिसंबर 2020 में शुरू हुआ, जब 25 प्रतिशत का पीक मार्जिन लगाया गया था। मार्च से पीक मार्जिन दोगुना होकर 50 फीसदी हो गया है। 1 जून से यह 75 फीसदी हो गया है। अब सितंबर में इसे बढ़ाकर 100 फीसदी किया जाएगा। पीक मार्जिन के नए नियम इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव जैसे सभी सेगमेंट में लागू होंगे। चार में से सबसे ज्यादा मार्जिन को पीक मार्जिन माना जाएगा। सेबी ने अपने नियम बदले हैं।