पुरूषों के लिए आरक्षित माने जाने वाली व्यवसायिक क्षेत्रों में भी सफल हो रहीं महिलाएं

रायपुर : मजबूत इच्छा शक्ति और अपने फौलादी इरादों से महिलाएं पुरूषों के लिए आरक्षित माने जाने वाले व्यवसायिक क्षेत्रों में भी सफल हो रहीं हैं। इसकी मिसाल महासमुंद जिले के विकासखंड बागबाहरा के छोटे से गाँव कोमाखान की एकता महिला स्व-सहायता समूह महिलाएं हैं, जिनके जज्बे के आगे अब लोहा भी नरम पड़ गया है। बिहान समूह से जुड़ी ये महिलाएं लोहे की तार फेंसिंग का निर्माण कर रही हैं जो भारी काम होने के कारण सामान्यतः पुरूष ही करते रहे हैं। इन महिलाओं द्वारा अब तक 169 बण्डल फेंसिंग तार का निर्माण कर उसे 1 लाख 90 हजार 365 रुपए में विक्रय किया जा चुका है। इनके फेंसिंग तार की सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा माँग की जा रही है।

महिलाओं ने बताया कि काम मुश्किल था पर ग्रामीण आजीविका मिशन के मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया गया तो काम आसान लगने लगा। समूह की महिलाओं ने साबित कर दिया कि उनके अन्दर आगे बढ़ने और अपने परिवार को आगे ले जाने की पूरी क्षमताएं हैं। ऐसे में बिहान की योजनाएं उन्हें और मजबूत कर रही हैं। ये महिलाएं न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है बल्कि दूसरे लोगों को रोजगार प्रदान कर उन्हें भी आगे बढ़ने में मदद कर रही है। समूह की महिलाएं फेसिंग तार के साथ आचार, पापड़, निरमा, साबुन, फिनाइल भी बना रही हैं।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत् महिलाओं और युवतियों को स्व-सहायता समूह के रूप में गठित कर उन्हें स्वावलंबन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें विभिन्न आजीविका संबंधित गतिविधियों का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। इसके तहत महासमुंद जिले में 5 हजार 223 महिला स्व-सहायता समूह काम कर रहे हैं। इनसे जुडकर लगभग 55 हजार 910 महिलाएं मोमबत्ती, दीया, वाशिंग पाउडर, फिनायल, बांस की टोकरी सहित अन्य सामान बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। बिहान योजना से जुड़ी महिलाएं सिलाई-कढ़ाई करने, जैविक खाद बनाने और खुद बनाए सामानों को बाजार में बेचने का भी काम करती हैं, इसमें राज्य सरकार द्वारा भी पूरा सहयोग किया जा रहा है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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