लू लगने के लक्षण एवं बचाव के उपाय

गरियाबंद : ग्रीष्म ऋतु के मौसम में तापमान में वृद्वि के चलते अप्रैल से जून माह के दौरान भीषण गर्मी पड़ने तथा लू चलने की संभावना है। जिससे आम जनजीवन व स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जिसे देखते हुए कलेक्टर नम्रता गांधी ने जिलेवासियों से आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय करने की अपील की है। वही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एन.आर. नवरत्न ने बताया कि गर्मियों में लू लगने की समस्या आम है। अंग्रेजी मे इसे हीट स्ट्रोक और सनस्ट्रोक के नाम से जाना जाता है।

जब तापमान चरम पर होता है और गर्म हवा के झोकें चलते हैं तब लू लग सकती है, इसमें हमारे शरीर के द्रव सूखने लगते है, जिससे पानी और नमक की कमी हो जाती है और लू लगने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। लू लगने पर शरीर में गर्माहट और थकावट महसूस होने लगती है लू लगने के कारण कई और मामूली बीमारियां जैसे की हीट एडेमा, शरीर का सूजना, हीट रैशेस ,हीट क्रैम्प्स, शरीर में अकड़न और बेहोशी आदि भी हो सकती है। चिकित्सकीय भाषा में शरीर के तापमान को 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक रहने पर और शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में जटिलताओं के पेश आने पर लू लगना कहते है।

लू लगने के लक्षण- लू लगने पर शरीर में गर्माहट, सिरदर्द, कमजोरी, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना, उल्टी चक्कर, सांस लेने में तकलीफ, दस्त और कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं, ध्यान रहे कि लू लगने पर पसीना नही आता है। लू लगने पर ऑंखों में जलन भी होती है। लू लगने के कारण अचानक बेहोशी व अंततः रोगी की मौत तक हो सकती है। इसमें निम्न रक्तचाप और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है, इसलिए बेहोशी भी आ सकती है, इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है। इस दौरान शरीर का तापमान एकदम से बढ़ जाता है अक्सर बुखार बहुत ज्यादा 105 से 106 डिग्री फॉरेनहाईट तक पहुंच जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन होती रहती है।

लू लगने के सामान्य उपचार- जब भी बाहर गर्मी चरम पर हो तो कम से कम बाहर निकलकर लू से बचा जा सकता है लेकिन यदि बाहर जाना आवश्यक हो तो अधिक से अधिक पानी पीकर निकलें ध्यान रहे कि खाली पेट न निकलें। पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले छांव में लायें, फिर उसके लिए हवा का इंतजाम करें, गमी के कारण शरीर का तापमान हुई वृद्वि छाया में आने से तापमान सामान्य आना शुरू हो जाता है। उस व्यक्ति को नमक शक्कर और पानी का घोल मुंह से पिलायें, बेहतरी के लिए शरीर पर हल्का सा गर्म पानी भी छिड़क सकतें है। चाहे तो गीली चादर में लपेटकर भी तापमान को कम करने का प्रयास कर सकतें हैं। हाथ पैर की मालिश करें जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है। संभव हो तो बर्फ के टुकड़े कपड़े में लपेटकर गर्दन, बगलों और जांघों पर रखे इससे गर्मी जल्दी निकलती है।

फ़ाइल फोटो

धूप में घर से बाहर निकलें तो छतरी एवं टोपी का इस्तेमाल करें, नंगे बदन और नंगे पैर धूप में ना खड़ें हो। तरल पदार्थों के रूप में आप नींबू पानी, आम पना, छाछ, लस्सी, नारियल पानी, बेल या नींबू का शर्बत जैसे तरल पदार्थों  का उपयोग करते रहें। ढीले और सूती कपड़े पहनना ज्यादा उचित होता है। अचानक से गर्मी से एकदम ठंडे कमरें मे ना जाएं। जितना हो सके हरी सब्जियों का सेवन करें, खीरा, ककड़ी एवं अन्य फलों का भरपूर सेवन करें। यदि आपके पास सुविधा हो तो ठंडे वातानुकूलित कमरे में रहें। शरीर का तापमान तेज होने पर सिर पर ठंडी पट्टी रखें। अधिक पसीना आने पर ओ.आर.एस का घोल पिए जो कि मितानिन के पास मुफ्त में उपलब्ध है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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