सोशल मीडिया के झोलाछाप पर सरकार की नकेल, बगैर योग्यता के नहीं बता सकते ‘बड़ी बीमारियों’ की दवा
नई दिल्ली: सरकार यूट्यूब समेत सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य के बारे में मुफ्त ज्ञान बांटने वाले नौसिखिए लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। सरकार स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित उत्पादों और प्रथाओं के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी प्रदान करने वाले इन्फ्लुएंसर्स से उनकी योग्यता के बारे में बताने के लिए कह सकती है। ऐसे में इन लोगों को वीडियो में दर्शकों के लिए अनिवार्य रूप से डिस्क्लेमर देना होगा।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने एक इंटरव्यू में सूत्रों से कहां कि ‘अगर आप कह रहे हैं कि यह खाना अच्छा है या बुरा, यह दवा अच्छी है, तो आपको पर्याप्त समझ होनी चाहिए और आपको बताया जाना चाहिए कि आप ऐसी जानकारी देने में सक्षम हैं। यदि आप इसे नहीं समझते हैं तो यह भ्रामक जानकारी हो सकती है।”
यह कदम भी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के दिशानिर्देशों के समान है जो विज्ञापनों में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स और विज्ञापनों में एक्टर पर लागू होते हैं। दरअसल, कई नागरिकों ने क्रिप्टोकरंसी या अन्य वित्तीय तरीकों से लोगों को ठगे जाने की शिकायत की थी।
कोरोना महामारी के बाद स्वास्थ्य के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी
एक जानकारी के अनुसार, 2022 में भारत का सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बाजार 155.6 मिलियन डॉलर का था। इन लोगों में एक बड़ा वर्ग हेल्थ और वेलनेस से जुड़ी सलाह देने वालों का है। कोविड-19 महामारी के बाद लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता आई और इसका फायदा सीधे तौर पर सोशल मीडिया प्रभावितों को मिला, क्योंकि ये लोग यूट्यूब और अन्य माध्यमों से स्वास्थ्य और फिटनेस से जुड़े कई वीडियो डालते हैं. मृणाल ठाकुर, रश्मि देसाई और आयुष मेहरा जैसी कई हस्तियां इस तरह की सामग्री के लिए इंस्टाग्राम पर प्रसिद्ध हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे ऐसी सलाह देने के योग्य हों।
सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘चूंकि इसका सीधा संबंध लोगों के स्वास्थ्य से है. आप चाहें तो उन्हें शिक्षित करने का प्रयास करें लेकिन इसे पर्याप्त समझ के साथ करें। अधिकांश युवाओं के लिए, इस प्रकार का वीडियो आय का एक बड़ा स्रोत है, इसलिए हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते, लेकिन हमें उपभोक्ताओं के हित की चिंता है।