रक्षाबंधन:2023 टूटे बिक्री के रिकॉर्ड, बिकी 12 हजार करोड़ की राखियां

नई दिल्ली/सूत्र: 30 अगस्त को रक्षाबंधन का सरकारी अवकाश होने के बावजूद देशभर के सभी बाजार खुले रहे और कारोबार सामान्य रहा। दिन भर भद्रा काल होने जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके चलते व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की सलाह पर देशभर के व्यापारी संगठनों से जुड़े व्यापारी, उनके कर्मचारी और परिवार के सदस्य 31 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाएंगे। एक मोटे अनुमान के मुताबिक, इस बार देशभर में 12 हजार करोड़ रुपये की राखियां बिकी और सारी राखियां देश में ही बनाई गईं।

इस साल भी चीन से राखी या राखी का कोई सामान आयात नहीं किया गया

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना के बाद यह पहला साल है, जिसमें उपभोक्ता बिना किसी बीमारी के डर के राखी खरीदने के लिए देशभर के बाजारों में उमड़ पड़े, जिसके कारण पिछले वर्षों की, राखी बिक्री के सभी रिकॉर्ड टूट गए। इस बार राखियों का कारोबार लगभग 12,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है। इसके साथ ही मिठाई, उपहार सामग्री, कपड़े, एफएमसीजी सामान आदि का कारोबार भी करीब 5 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है।

चंद्रयान राखी और G20 की वसुधैव कुटुंबकम राखी भी बनाईं

सूत्रों ने बताया कि इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और इसरो के महान वैज्ञानिकों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए व्यापारियों द्वारा कई प्रकार की राखियों के अलावा विशेष रूप से “चंद्रयान राखी और जी20 की वसुधैव कुटुंबकम” राखियां भी बनाई गईं. . इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से भी कई तरह की राखियां बनाई गईं, जिनमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ की कोसा राखी, कोलकाता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी शामिल हैं। मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, झारखंड में जनजातीय वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, वाराणसी में बनारसी कपड़े की राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली राखी शामिल हैं।

साल 2018 में 3 हजार करोड़ रुपये के राखी व्यापार से शुरू होकर केवल 6 सालों में यह आंकड़ा 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जिसमें से केवल 7 फीसदी बिजनेस ही ऑनलाइन के जरिये हुआ है जबकि बाकी सारा व्यापार देश के सभी राज्यों के बाजारों में जाकर उपभोक्ताओं ने स्वयं खरीदा है। राखियों से भावनात्मक जुड़ाव के कारण लोग खुद ही देखने और परखने के बाद राखियां खरीदते हैं और यही कारण है कि इस साल राखियों का कारोबार अच्छा रहा है। साल 2019 में यह कारोबार 3500 करोड़, साल 2020 में 5 हजार करोड़, 2021 में 6 हजार करोड़ और पिछले साल यह कारोबार 7 हजार करोड़ आंका गया था. इससे साफ है कि लोग अब फिर से पूरे उल्लास और उत्साह के साथ त्योहार मना रहे हैं और खास तौर पर भारत में बने सामान खरीदने में दिलचस्पी ले रहे हैं।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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