भारत में इस साल ट्रैक्टर की रिकॉर्ड बिक्री, जानिए क्या है कारण?

नई दिल्ली/कारोबारसंदेश: भारत के किसानों में ट्रैक्टर का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है. इस साल सितंबर में त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले ट्रैक्टर की बिक्री में 23 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अगर अप्रैल से नवंबर तक के आंकड़ों की बात करें तो ट्रैक्टरों की बिक्री में 9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल नवंबर तक ट्रैक्टर की घरेलू बिक्री 7,00,000 यूनिट के करीब पहुंच गई है।
अगर भारत में एक कैलेंडर ईयर में ट्रैक्टर्स की बिक्री की बात करें तो इस साल पहली बार 9,00,000 से ज्यादा ट्रैक्टर बेचे जा सकते हैं. घरेलू ट्रैक्टर बिक्री का लगभग 15% ट्रैक्टर निर्यात होता है, इन आंकड़ों से ट्रैक्टर निर्यात के आंकड़े हटा दिए गए हैं।

उसके बाद देश में ट्रैक्टरों की बिक्री के बेहतरीन आंकड़े देखने को मिल रहे हैं. दरअसल देश के किसान अब बैलों से खेत जोतने के बजाय ट्रैक्टरों की ओर मुड़ गए हैं। साल 2019 की जनगणना के मुताबिक देश में सांडों की आबादी 4.74 करोड़ रही हैं। पिछले एक दशक में ट्रैक्टर की बिक्री दोगुनी हो गई है। एक दशक पहले भारत में ट्रैक्टर की बिक्री 4.80 लाख यूनिट थी, जो अब 8.99 लाख यूनिट पर पहुंच गई है।
देश में कृषि व्यवसाय में मशीनों के उपयोग में तेजी से वृद्धि के कारण ट्रैक्टरों की बिक्री में वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि कोरोना वायरस संकट के दौरान भी देश में ट्रैक्टरों की बिक्री में कोई कमी नहीं आई है. इसका कारण यह है कि कोरोना संकट काल में भी ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आय कम नहीं हुई।
दरअसल, कृषि क्षेत्र में कोरोना संकट के दौर में देश की जीडीपी ग्रोथ में कमजोरी के बीच शानदार ग्रोथ दर्ज की गई थी. ट्रैक्टर की बिक्री में आई तेजी के और भी कई कारण हैं। नीति निर्माताओं, कृषि अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि बैलों को पालने और खरीदने-बेचने का खर्चा अधिक होता है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी लगातार बढ़ रही है, इस वजह से किसान अब बैल की खेती के बजाय ट्रैक्टर से खेती करने की ओर बढ़ रहे हैं।