दुकानों में काम करने वाले दैनिक श्रमिकों को मिलेगी अब एक दिवस की छुट्टी
गरियाबंद : कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में आयोजित समीक्षा बैठक में गरियाबंद के व्यापारियों द्वारा गुमास्ता एक्ट के नियमों का पालन नहीं किए जाने की शिकायत पर प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू द्वारा अपने संज्ञान में लेते हुए गरियाबंद जिले के समस्त नगरीय निकाय गरियाबंद, छुरा, फिंगेश्वर, एंव राजिम क्षेत्र अंतर्गत स्थापित दुकान एंव वाणिज्य स्थापनाओं में एक दिवसीय साप्ताहिक अवकाश प्रदान नहीं किए जाने वाले व्यापारियों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही किये जाने के लिए श्रम विभाग को कहा गया है ।
अब देखना यह है कि प्रशासनिक आदेशों के बावजूद व्यापारियों द्वारा मजदूरों को छुट्टी देते हैं, या पहले की तरह गुमास्ता एक्ट के नियमों का धज्जियां उड़ाते हैं नाम नहीं बताने के शर्त पर कुछ व्यापारियों का कहना है कि हम गुमास्ता एक्ट के नियमों का पालन कराने को तैयार हैं। साप्ताहिक अवकाश मजदूरों को मिलना चाहिए लेकिन कुछ व्यापारी ऐसे हैं। जो जानबूझकर इस नियम को मानने को तैयार नहीं है और अपने जिद को पूरा करने में लगे हैं । अब देखना यह लाजमी होगा कि मजदूरों के हित में जिला प्रशासन अपने नियमों को पालन कराने में कितने सफल होते हैं । साप्ताहिक अवकाश दिवस अधिनियम, 1942 दुकानों, जलपान और सिनेमाघरों में साप्ताहिक अवकाश – दुकान, जलपान या थियेटर में काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को हर हफ्ते पूरे एक दिन का अवकाश दिया जाता हैं।
गुमाश्ता एक्ट- छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 को गुमाश्ता एक्ट के नाम से जाना जाता है। अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इस अधिनियम में वर्कर के साप्ताहिक अवकाश, अन्य अवकाश एवं रोजगार सुरक्षा के अधिकार के लिए प्रावधान किए गए हैं। लेकिन गरियाबंद में दुकानों में कार्यरत गरीब मजदूर व्यक्तियों के विषय में किसी को क्या पड़ी है।इतना काम एक किसान भी अपने बैल से नहीं करवाता वह भी अपने जानवरों को आराम करने का मौका देता है किंतु यंहा तो मजदूरों को काम के नाम पर शोषण किया जा रहा है । बेबस लाचार श्रमिक अपने घर परिवार को एक दिन समय नहीं दे सकते अगर काम पर नहीं आए तो मालिक तनख्वा काट देता हैं। अगर किसी से इसके बारे में शिकायत करें तो काम से छुड़वा देगा इसी डर से मजदूर काम करने मजबूर हैं ।