आयुर्वेदिक उत्पादों पर बढ़ रहा है लोगों का भरोसा, अगले पांच साल में दोगुना हो जाएगा बाजार!

रायपुर/सूत्र: भारत में आयुर्वेद उत्पादों का बाजार लगातार तेजी से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2028 तक यह बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो सकता है, जो फिलहाल 57,450 करोड़ रुपये है। सूत्रों के अनुसार आयुर्वेद टेक स्टार्टअप निरोगस्ट्रीट ने अपनी एक स्टडी में यह बात कही है।
निरोगस्ट्रीट का कहना है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्राकृतिक और हर्बल उपचारों की मांग बढ़ रही है। आयुर्वेदिक डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ रही है। युवा उद्यमी भी बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में आ रहे हैं। इसके अलावा सरकार आयुर्वेदिक चिकित्सा को भी बढ़ावा दे रही है।
15 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद
निरोगस्ट्रीट सर्वेक्षण के अनुसार, आयुर्वेद उत्पादों और सेवाओं का समग्र बाजार वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2028 तक 15 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। सर्वेक्षण में यह भी अनुमान लगाया गया है कि वित्तीय वर्ष 2022 में देश में आयुर्वेदिक विनिर्माण का मूल्य था लगभग 89,750 करोड़ रुपये। 10 राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर और केरल- के लगभग 7,500 निर्माताओं ने निरोगस्ट्रीट सर्वेक्षण में भाग लिया।
10 साल में आयुष सेक्टर 24 अरब डॉलर तक पहुंचा
हाल ही में, आयुष मंत्रालय ने भी इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक बाजारों में आयुष उत्पादों की उपस्थिति स्थापित करने के लिए नवाचार और एक बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने कहा कि आयुष क्षेत्र 10 साल में 24 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
निरोगस्ट्रीट का कहना है कि आयुर्वेद उत्पादों के तेजी से बढ़ते बाजार से पता चलता है कि इसमें देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है। हाल के दिनों में आयुर्वेदिक इलाज पर लोगों का भरोसा भी काफी बढ़ा है क्योंकि इसके ज्यादा साइड इफेक्ट नहीं होते हैं।