गरियाबंद डीटीओ में : पैसे के दम पर बिना ट्रायल के स्थायी लाइसेंस का खेल

गरियाबंद/कारोबार संदेश: ढेरों शिकायतों के बाद विभाग नहीं सुधरा, खुलेआम कैंपस में दलाल करते हैं ‘वसूली’। काफी समय से पैसे के दम पर, बिना ट्रायल के स्थायी लाइसेंस का खेल जारी।

आरटीओ एजेंट मोटी रकम लेकर कई काम बड़ी आसानी से करा देते हैं। इसके लिए बस अभ्यर्थियों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। यहां बगैर ड्राइविंग टेस्ट दिए ही टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर तक के लाइसेंस बनाए जाते हैं, इसके लिए 4500 से 5500 सौ रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

गरियाबंद डीटीओ में 60 फीसदी डीएल की संख्या ओडिशा के कालाहांडी और नवरपुर जिले के लोगों की होती है। कार्यालयीन दिवस में दफ्तर के बाहर ओडिशा से आए वहन व इसे बनाने वालों की भीड़ लगी होती है। विभाग सभी नियम-कायदों में ढील देकर आसानी से लाइसेंस बना देते हैं।

एजेंट का दावा है कि इस काम के लिए वे क्लर्क से लेकर अफसर तक मोटी रकम पहुंचाते हैं। मंगलवार को कारोबार संदेश समाचार पत्र के टीम ने लाइसेंस बनवाने के नाम पर स्टिंग किया। ग्राहक बनकर पहुंचे टीम से एजेंटों ने 4500 से 5500 सौ लेकर बिना ट्रायल लाइसेंस बनवाने की बात कही।

एजेंटों ने बाकायदा इसके लिए दोगुना फीस भी तय कर रखा है,यह पूरा खेल जिला परिवहन विभाग के संरक्षण में चल रहा हैं, यही वजह है कि एजेंट को किसी तरह की कार्रवाई का कोई खौफ नहीं है।

बिना ट्रैक ट्रायल लाइसेंस के संबंध में पुछे जाने पर जिला परिवहन अधिकारी एमपी पटेल का कहना हैं कि स्कूल के कारण ट्रैक नहीं बनाए हैं। आपको बता दे डीटीओ कार्यालय स्कूल कैंपस मे हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में लाइसेंस बनवाने के लिए अभ्यर्थियों को मैनुअल टेस्ट देकर ट्रैक पर वाहन चलाना अनिवार्य है। ट्रैक पर प्रदर्शन के आधार पर, ड्राइवर को पास या फेल दिया जाता था। केवल अच्छे प्रशिक्षित ड्राइवर ही इसे पास करते हैं। जिससे सड़क हादसों में भी कमी आती है।

जानिए कैसा रहता है ट्रैक

परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें तो ट्रैक आठ आकार का होता है। ट्रैक पर नियम के अनुसार गाड़ी चलाने वाले ही पास होंते हैं। यदि ऐसी स्थिति में आवेदक टेस्ट में फेल हो जाता हैं तो अगले दो सप्ताह में उसे दोबारा टेस्ट देना होगा। लेकिन गरियाबंद डीटीओ एक साल से अधिक समय से बिना ट्रायल के, पैसे के दम पर हजारों डीएल जारी कर रहा है।

इससे पहले भी राज्य के बड़े अखबारों ने जिला परिवहन विभाग का पर्दाफाश किया है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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