फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन रोकने के लिए एक और बड़ी कार्रवाई, अब 30 दिन के भीतर देनी होगी बैंक खाते की डिटेल
नई दिल्ली/सूत्र : जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) पर फर्जी रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए मंगलवार को जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक में कई फैसले लिए गए।
आपको बता दें कि पहले 45 दिनों के भीतर बैंक खाते की जानकारी देनी होती थी और कई बार कारोबारी बैंक खाते की जानकारी भी नहीं देते थे. नए नियम के मुताबिक 30 दिन के अंदर बैंक खाते के साथ पैन नंबर देना अनिवार्य कर दिया गया है. काउंसिल में लिए गए फैसले के मुताबिक, भविष्य में संदिग्ध कारोबारियों को आधार के बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से जीएसटीएन पर रजिस्टर किया जाएगा ताकि किसी तरह का कोई खतरा न हो।
इन राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा
गुजरात और पुडुचेरी में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब आंध्र प्रदेश ने भी इसे अपने राज्य में अपनाने की इच्छा जताई है। जीएसटी काउंसिल के फैसले के मुताबिक, अब सीमा से ज्यादा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की वसूली सरकार से नहीं की जाएगी।
हाल ही में अप्रत्यक्ष कर विभाग की ओर से जीएसटीएन पर रजिस्टर्ड फर्जी कारोबारियों की पहचान के लिए एक अभियान चलाया गया था, जिसके तहत 70,000 संदिग्ध फर्मों की पहचान की गई थी. इनमें से 60,000 फर्मों की जांच की गई और इनमें से 17,000 का रजिस्ट्रेशन फर्जी पाया गया. अब जीएसटीएन पर रजिस्ट्रेशन के लिए नियम सख्त होने से इस तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।
विशेषज्ञों ने बताए इसके फायदे
जीएसटी विशेषज्ञ और चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) प्रवीण शर्मा ने कहा कि जब कोई व्यापारी जीएसटीआर-1 रिटर्न दाखिल करता है, तो उसमें उसके व्यवसाय के बारे में विस्तृत जानकारी होती है और उसी के आधार पर जीएसटीआर-2बी तैयार होता है। इस 2B में यह स्वचालित रूप से पता चल जाता है कि व्यवसायी द्वारा कितनी ITC जेनरेट की जा रही है।
मान लीजिए किसी कारोबारी की आईटीसी 1 करोड़ रुपये बन रही है और वह 1.26 करोड़ रुपये की आईटीसी का दावा करता है तो कारोबारी को नोटिस जारी किया जाएगा और उसे जवाब देना होगा। 2बी में उत्पन्न आईटीसी की राशि से 25 लाख से अधिक आईटीसी का दावा करने पर नोटिस जारी किया जाएगा।