हवेली राम से हैवेल्स इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड का पूरा सफर
10 हजार रु. से शुरू किया बिजनेस, आज खड़ी हो गई 44 हजार करोड़ की कंपनी
आप सभी ने हैवेल्स का नाम तो सुना होगा। जिसे अधिकतर लोग आज भी एक विदेशी कंपनी समझते है। लेकिन यह एक भारतीय कंपनी है। और इस कंपनी के संस्थापक थे। हवेली राम गाँधी और इन्हीं के नाम के पर इस कंपनी का नाम हैवेल्स रखा गया। हवेली राम को कुछ समय बाद आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा। इस वजह से उन्होंने इस कंपनी को भागीरथ पैलेस के एक दुकानदार कीमत राय गुप्ता को 7 लाख रूपये में बेच दिया गया। सफलता के मुकाम पर ले जाने वाले कीमत राय गुप्ता। 6 दशक पहले सिर्फ 10 हजार रुपए लेकर दिल्ली के लिए निकल पड़े थे।आज उनका बिजनेस एम्पायर 44 हजार करोड़ रुपए का हो चुका है।
उनकी मेहनत ही जिस वजह से आज उनका परिवार दुनिया के अमीरो की लिस्ट में 58 वे में स्थान पर आता है। और साथ ही आज उनकी कंपनी दुनिया की 5 वी सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी है। इस कहानी की शुरुआत होती साल 1958 से तब भारत- पाक विभाजन से पहले पंजाब के मलेरकोटला के एक छोटे से गांव में जन्में कीमत राय गुप्ता अपने बचपन से निकलने के बाद महज 21 वर्ष की उम्र में जीवन में कुछ अलग करने के इरादे से अपनी बचत के 10 हजार रूपये ले कर दिल्ली आ गए दिल्ली आकर उन्होंने भागीरथ पैलेस के मार्केट में अपने ही एक रिश्तेदार के पास इलेक्ट्रॉनिक का काम सीखने लगे अपनी मेहनत और लगन के चलते उन्होंने थोड़े समय बाद ही खुद के बिजनेस गुप्ता जी ट्रेडिंग कंपनी की शुरुआत की बचपन से ही कुछ अलग करने की सोच रखने वाले कीमत राय गुप्ता अपने ट्रेडिंग के इस बिजनेस में हमेशा कुछ न कुछ नया करने के बारे में सोचते रहते थे।
साल 1971 में उन्हें पता चला की हैवेल्स कंपनी के मालिक हवेली राम आर्थिक तंगी से जूझ रहे है और इस वजह से वो अपनी इस कंपनी को बेचना चाहते है उस दौरान हैवेल्स कंपनी को इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में ज्यादा कोई जनता नहीं था लेकिन दूसरी और लोकल मार्केट में हैवेल्स कंपनी की काफी मांग थी। तब कीमत राय गुप्ता को लगा की यह उनके लिए सबसे अच्छा अवसर है लेकिन दोस्तों कीमत राय गुप्ता के पास हैवेल्स की पूरी कंपनी को खरीदने के लिए इतने पैसे नहीं थे। तब उन्होंने सोचा की अगर वो केवल इस ब्रांड को खरीद ले तो वो अपने प्रोडक्ट इस ब्रांड के माध्यम से मार्केट में अच्छी क़ीमत पर बेच सकते है तब उन्होंने हैवेल्स के इस ब्रांड को 7 लाख रुपयों में खरीद लिया यह फैसला उनके जीवन का सबसे सफल कदम था।
कीमत राय गुप्ता को इस क्षेत्र में 10 साल से अधिक समय का अनुभव था यही कारण था की वो ग्राहक की पसंद नापसंद बड़ी आसानी से पहचान जाते थे इस ब्रांड को खरीदने के बाद उन्होंने इस ब्रांड के साथ ट्रेडिंग की और साल 1976 में उन्होंने दिल्ली के कीर्ति नगर में अपना पहला स्विच और रिचेंगओवर का एक मेन्यूफेक्चरिंग प्लांट लगाया समय के साथ वो अपने इस कारोबार को बढ़ाते गए और साल 1979 और 1980 में तिलक नगर में दो बड़े एनर्जी मीटर बनाने के प्लाट स्थापित किये। कुछ समय बाद उन्होंने “हैवेल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ” की भी स्थापना की उन्होंने हमेशा अपने ब्रांड की अच्छी क़्वालिटी को बेहतर बनाने पर काम किया इस वजह से मार्केट में उनकी कंपनी तेजी से आगे बढ़ने लगी समय के साथ कंपनी के प्रोडक्ट की मांग बढ़ने के कारण उन्होंने हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी अपनी कंपनी के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट बनाने के प्लांट स्थापित कर दिए।
साथ ही मार्केट में आने वाली समस्याओं से निपटते हुए कंपनी के डीलर नेटवर्क का विस्तार करते गए इस दौरान उन्होंने अधिग्रहण और जॉइंट वेन्चर्स के साथ मिलकर भी अपनी कंपनी का विस्तार किया और धीरे धीरे साल 1992 में कंपनी की मार्केट वेल्यू 25 करोड़ हो गई थी लेकिन दोस्तों क़ीमत राय गुप्ता अपनी इस सफलता पर ही नहीं रुकने वाले थे उन्हें और कुछ बड़ा करना था। और अपने सपनो और कंपनी को और बड़ा करने के लिए और अधिक पूंजी की जरूरत थी। उसके लिए उन्होंने साल 1993 में शेयर मार्केट के BSE NSE के साथ लिस्टटेड करवा लिया।
तब पुरे विश्व में चायना के प्रोडक्ट के कदम तेजी से विश्व के मार्केट में बढ़ रहे थे जिस वजह से मार्केट में छोटे व्यापारियों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई इसका असर हैवेल्स पर भी पड़ा उसे विदेशो से मिलने वाली नई टेक्नॉलोजी में मुश्किलें आने लगी तब मार्केट में चल रही विपरीत परिस्थितियों में मार्केट में बने रहने के लिए साल 1998 में हैवेल्स ने खुद के रिसर्च और डेवलपमेंट की शुरुआत की और समय के बदलाव के साथ मार्केट में आने वाले नये प्रोडक्ट जैसे लाइट,फैन,आइरन,वायर,होम अप्लायंसेज,गीजर,जैसे प्रोडक्ट का निर्माण भी करने लगी।
समय के साथ उनके द्वारा विदेशी कंपनियों के जॉइंट वेन्चर्स और अधिग्रण के कारण हैवेल्स कंपनी का मार्केट और बढ़ गया। नया सोच के साथ उन्होंने 2007 में अपनी कंपनी के आकार से डेढ़ गुनी कंपनी सिल्वेनिया को खरीदने का फैसला किया। तब सिल्वेनिया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी लाइटिंग कंपनी थी। इस अधिग्रहण से हैवेल्स उस समय दुनिया की 5 सबसे बड़ी लाइटिंग कंपनियों की सूची में जगह बनाने में कामयाब हो गई। लेकिन, एक साल बाद आई आर्थिक मंदी ने सिल्वेनिया के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी। सिल्वेनिया को मुश्किल से उबारने के लिए हैवेल्स ने पूरी ताकत लगा दी। हैवल्स की कोशिशों ने रंग दिखाया और सिल्वेनिया मुश्किलों से उबर गई
साल 2014 में एक गंभीर बीमारी के चलते हैवेल्स कंपनी के संस्थापक किमत राय गुप्ता ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। किमत राय गुप्ता अपने अंतिम समय तक कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहे आज हैवेल्स ने क्रेपटरी सिल्वेनिया कॉनकोट,जैसी दुनिया की सुप्रसिद कंपनियों को अपने अधीन कर लिया। आज दुनिया के 51 देशो में 91से भी ज्यादा मिनी फ्रेंचाइजी यूनिट हजारो की संख्या में कर्मचारी इस कंपनी में काम करते है। आज तक हम जिसे विदेशी ब्रांड मानते आये है। वो देशी ब्रांड आज पूरी दुनिया में अपनी पहचान कायम कर चूका है।