मूंगफली की खेती, दस हजार रूपये प्रति एकड़ अनुदान
गरियाबंद : मूंगफली तिलहन की फसल है और सरकार इसकी खेती को बढ़ावा दे रही है और किसानों को मदद भी दे रही है। तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए मूंगफली का उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है। भारत खाद्य तेल के आयात पर निर्भर है और अपनी जरूरत का 70 प्रतिशत खाद्य तेल दूसरे देशों से आयात करता है। यही वजह है कि सरकार मूंगफली की खेती पर जोर दे रही है।
छुरा विकासखण्ड के ग्राम खुडियाडीह के किसान धनकुमार साहू इन दिनों मूंगफली की खेती कर विशेष पहचान बना ली है। उन्होंने परम्परागत धान की खेती के बदले मूंगफली की खेती करना प्रारंभ किया। जिससे उन्हें धान की तुलना में अतिरिक्त लाभ हुआ। इसके अलावा शासन की महत्वाकांक्षी योजना राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत अनुदान सहायता राशि दस हजार रूपये का भी लाभ भी मिला।
किसान धनकुमार से बताया कि उनकी कुल भूमि का रकबा 1.30 हेक्टेयर है। जिसमें मैं पहले केवल धान की खेती कर रहा जिससे मुझे काफी कम आय प्राप्त होती थी। मेरी कृषि भूमि मूंगफली की खेती के लिये काफी उपयुक्त था, खरीफ वर्ष 2020-21 में 0.40 हे. मूंगफली की खेती किया, साथ ही राजीव गांधी न्याय योजना के तहत अनुदान सहायता राशि दस हजार रूपये प्रति एकड़ प्राप्त किया। लगभग 1 एकड़ क्षेत्र में 8 क्विं मूंगफली का उत्पादन किया। इसे मैंने गांव के कृषकों को 60 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय किया, जिससे 48 हजार रूपये का आय हुआ। यह मेरे लिए अतिरिक्त आमदनी का एक सशक्त माध्यम बना। निश्चित ही मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।