इस राह पर चलने वाले किसान कमा रहे लाखों, बर्बादी कम और मुनाफा ज्यादा!

रायपुर: कृषि देश की रीढ़ से कम नहीं है। किसान उगाएगा तो देश खाएगा, ऐसी बातें हम आमतौर पर सुनते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि इन किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं और दूसरों का पेट भरने वाले खुद भूखे रहने को मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में कृषि पद्धतियों में बदलाव ही एकमात्र उम्मीद नजर आती है। इंटीग्रेटेड फार्मिंग एक ऐसा तरीका है जिससे किसान कम जोखिम में अच्छा पैसा कमा रहे हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) क्या है? यह कृषि का एक मॉडल है जिसमें विभिन्न प्रकार की खेती संबंधी गतिविधियाँ एक ही स्थान पर की जाती हैं। एक ही स्थान पर कई प्रकार की फसलें उगाना, मुर्गी पालन और मछली पालन इसका हिस्सा है। इससे छोटे किसानों को काफी फायदा मिलता है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एकीकृत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

क्या हैं इसके फायदे?

कम जमीन वाले किसान इस नई कृषि तकनीक से अपना मुनाफा दोगुना कर सकते हैं। किसान कम लागत में एक ही स्थान पर कई फसलें उगा सकते हैं। इसमें नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है। कृषि अपशिष्ट पशुओं के लिए भी उपयोगी है। इसमें आपको अलग-अलग काम निपटाने के लिए कई जगहों पर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। आप एक ही खेत में विभिन्न फसलें उगाना, मछली पालन और मुर्गी पालन करते हैं। यहां से निकलने वाले कचरे का उपयोग खाद बनाने में किया जा सकता है।

बढ़ती जनसंख्या और घटती कृषि योग्य भूमि के दौर में एकीकृत खेती कारगर साबित हो सकती है। फसल का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जा सकता है। खेती के साथ-साथ मछली और मुर्गी पालन कर उनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की जाती है। दलहनी फसलें खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाती हैं और इसके बाद सब्जियाँ उगाने से अच्छी फसल मिलती है। इस प्रकार, किसान अपने निजी उपयोग के लिए अनाज और सब्जियाँ उगाते हैं और उन्हें बाज़ार में बेचकर पैसा कमाने के लिए भी फसलें उगाते हैं। कम जगह, कम खर्च और कम संसाधनों में फसल उगाकर बाजार में बेचने से किसानों को अच्छी आमदनी होती है।

देश के कई इलाकों में किसान मुर्गी पालन के साथ-साथ मछली पालन, गाय पालन, बत्तख पालन और सब्जी की खेती भी कर रहे हैं। इससे उनकी सालाना कमाई करीब 4 से 5 लाख रुपये है। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें मार्केटिंग के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। लोग खुद इन के फॉर्म पर पहुंच जाते हैं और शुद्ध सब्जी, मछली, मुर्गा आदि खरीद लेते हैं।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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