उद्यमशीलता के लिए महिलाओं में बढ़ रहा वित्तीय समावेशन
रायपुर : उद्यमिता ऋण में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने स्टैंड अप इंडिया और मुद्रा योजना के तहत कारोबार शुरू करने के लिए कर्ज लिया। वित्तीय समावेशन के लिए, प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत महिलाओं द्वारा आधे से अधिक खाते खोले गए हैं।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, स्टैंड अप इंडिया योजना में 81 फीसदी से अधिक खाताधारक महिलाएं हैं। मंत्रालय के अनुसार, इस साल 26 फरवरी तक, स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 91,109 महिलाओं को 20,749 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। स्टैंडअप इंडिया स्कीम के तहत, ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं को 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का ऋण दिया जाता है। पांच अप्रैल, 2016 को स्टैंड अप इंडिया स्कीम लांच की गई थी।
एक साल पहले, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना 8 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई थी, जिसके तहत व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण दिया जाता है। मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष 26 फरवरी तक, महिलाओं को मुद्रा योजना के तहत दिए गए ऋण का 68 प्रतिशत हिस्सा था। 19.04 करोड़ महिला उद्यमियों को 6.36 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मुद्रा योजना के तहत, बैंकों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान भी ऋण दे रहे हैं। मुद्रा स्कीम में शिशु, किशोर व तरुण नाम से तीन प्रकार के कर्ज की सुविधा हैं।
वित्तीय समावेश के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत भी महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा रही है। इस साल 24 फरवरी तक जन-धन योजना के तहत कुल खातों की संख्या 41.93 करोड़ रही। इनमें से 23.21 करोड़ खाते महिलाओं के हैं।