वृद्धाश्रम आश्रम से महिला को बाहर निकाले जाने संबंधी खबर का उप संचालक ने किया खंडन
दर्जन भर बुजुर्गों की आश्रम में हो रही बेहतर देखभाल
सुखसागर/बलौदाबाजार : उप संचालक समाज कल्याण आशा शुक्ला ने कहा है कि जिला मुख्यालय बलौदाबाजार में संचालित वृद्धाश्रम में निवासरत किसी भी महिला को बाहर निकाला नहीं गया है। महिला की आश्रम से बाहर जाने की तीव्र इच्छा और जिद करने पर उसकी सहमति से जाने की अनुमति दी गई है। आश्रम से बाहर निकाले जाने संबंधी खबर का उप संचालक ने पुरजोर खंडन किया है। उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया है कि मुझसे बात किये बिना समाचार पत्र ने मेरा कथन कैसे उद्धरित किया है।
श्रीमती आशा शुक्ला ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग पर जिला मुख्यालय में दो साल पूर्व वृद्धाश्रम खोला गया है। आश्रम में किसी भी वृद्धजन को बलात रखने का कोई नियम नहीं है। रहने के इच्छुक असहाय बुजुर्गों की इच्छा और सहमति पर ही उन्हें रखा जाता है। और घर जैसे देखभाल और सेवा-सुश्रुषा की जाती है। फिलहाल 12 वृद्धजन आश्रम में अंतःवासी के रूप में निवास कर रहे हैं। उनकी सम्पूर्ण देखभाल की जा रही है। उनके रहने- खाने की आश्रम में निःशुल्क व्यवस्था है। कोरोना के कठिन काल मे भी उनका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, मास्क और सेनेटाइजर प्रदान किया गया है।आश्रम परिसर को कई बार सेनेटाइज भी करवाया गया है।कलेक्टर महोदय स्वयं कई दफा वृद्धाश्रम का दौरा कर चुके हैं और वृद्धजनों का कुशलक्षेम जाने हैं। जिस महिला को कथित तौर पर बाहर निकाले जाने की खबर प्रकाशित की गई है, उनके असामान्य मांग और व्यवहार से आश्रम के अन्य बुजुर्ग अंतःवासी भी परेशान हैं।
महिला विगत आठ माह से वृद्धाआश्रम में निवासरत थी, उनके द्वारा लगातार जहाँ से लाये हो वही छोड़ दो की ज़िद की जाती थी, रात-रात भर जागकर मुझे जाने दो कहकर आग्रह करती थी। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आश्रम प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार समझा-बुझाकर उन्हें अब तक ठहराया गया था, किंतु किसी अनहोनी की आशंका से विवश होकर महिला को उनके द्वारा बताए हुए स्थान पर जाने की अनुमति दी गई। उन्हें जाते समय सूखी खाद्य सामग्री, गर्म कपड़े, कंबल इत्यादि भी दिए गए । इसके उपरांत भी विभाग एवं आश्रम प्रबंधन द्वारा दो दिन तक सखी सेंटर एवं थाना पुलिस के माध्यम से महिला को सुरक्षित स्थान पर चलने की समझाइश दी गई। बढ़ती हुई ठंड एवं संक्रमण को देखते हुए उन्हें हॉस्पिटल ले जाने हेतु दो-तीन बार एम्बुलेंस भी भेजी गई किंतु महिला द्वारा साथ में आने से साफ इंकार किया गया। वह उसी स्थान पर रहकर अपना समय व्यतीत करना चाहती है। उनकी जिद के आगे पुलिस और सखी सेंटर की टीम भी वापस आ गई। इसके पूर्व भी आश्रम से कई वृद्धजनों को उनकी सहमति से परिचितों के साथ भेजा गया है। प्रशासन एवं विभाग प्रत्येक व्यक्ति की हरसंभव सहायता के लिए तत्पर है किंतु व्यक्तिगत सहमति के बिना किसी की सहायता करना कठिन हो जाता है।