किसान आंदोलन : छत्तीसगढ़ में दिखा बंद का असर

रायपुर : 8 दिसंबर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद का छत्तीसगढ़ में व्यापक प्रभाव पड़ा है। वहीं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन कानूनों को निरस्त करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ में किसानों के भारत बंद का व्यापक असर रहा। राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने बंद का समर्थन किया। राजधानी रायपुर सहित दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा आदि शहरों में सार्वजनिक परिवहन लगभग बंद था, जबकि दवा दुकानों को छोड़कर लगभग सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान दोपहर 2 बजे तक बंद रहे।

फ़ाइल फोटो

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि राज्य के किसी भी हिस्से से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। राज्य में बंद शांतिपूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता बंद को सफल बनाने के लिए सड़क पर उतरे और लोगों से समर्थन का अनुरोध किया। वहीं, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रायपुर जिले के विभिन्न स्थानों पर कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। मरकाम राजधानी रायपुर के जय स्तम्भ चौक पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ ट्रैक्टर पर सवार होकर बंद का समर्थन किए । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दोपहर में राजीव भवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि केंद्र सरकार को इन तीन “काले” कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए और इसके लिए किसानों से माफी मांगनी चाहिए।

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बघेल ने कहा कि पिछले दो सप्ताह से किसानों ने दिल्ली को घेर रखा है। सभी किसान संगठन इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने किसान संगठनों और राजनीतिक दलों से परामर्श किए बिना इन कानूनों को लागू किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने और कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को निरस्त करने के लिए है। उन्होंने कहा कि पहले अंग्रेजों ने देश को लूटा और अब केंद्र में सरकार के व्यापारी देश को लूटने की कोशिश कर रहे हैं। अगर भाजपा किसानों के पक्ष में होती, तो वह इस कानून को लागू नहीं करती। बघेल ने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही ऐसी कानूनों का विरोध करती रही है और मांग करती है कि केंद्र एक कानून बनाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को कृषि कानूनों को लेकर हठधर्मिता नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपनी गलती के लिए किसानों से माफी मांगनी चाहिए। केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और तीनों कानूनों को निरस्त करना चाहिए। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल के सदस्य साकेत ठाकुर ने कहा कि राज्य के 36 संगठनों ने बंद को अपना समर्थन दिया है। इनमें किसान, मजदूर और सामाजिक संगठन शामिल हैं। बंद के दौरान राज्य में कई जगहों पर रैलियों का आयोजन किया गया।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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