जानिए: कैसे हवा से पानी बनाती है मशीन, जो भारतीय रेलवे स्टेशनों पर लगने जा रही है
रायपुर: हम सभी ने सुना होगा कि एक दिन ऐसा आएगा जब हवा से पानी बनाया जाएगा। वह दिन आ गया। भारतीय रेलवे चेन्नई और मुंबई के स्टेशनों पर कुछ ऐसी मशीनें लगाने जा रही है, जिनमें हवा से पानी बनाया जाएगा, यानी वे मशीनें हवा से पानी बनाएंगी। उसे शुद्ध करेंगे और जैसे ही आप नल खोलेंगे उसके नल से पानी आने लगेगा। यह तकनीक विदेशों में पहले से ही है।
कुछ समय पहले जब भारतीय प्रधानमंत्री मोदी डेनमार्क गए थे तो उन्होंने पवन ऊर्जा टर्बाइनों के जरिए हवा से पानी बनाने की बात कही थी। लेकिन अब यह हकीकत है कि हवा में मौजूद नमी से पानी बनाने की मशीनें न सिर्फ बनाई जा रही हैं बल्कि दुनिया भर में इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
हम जानते हैं कि हवा में पानी हमेशा मौजूद रहता है। अब हवा में मौजूद पानी को एक खास तकनीक के जरिए निकाला जा सकेगा जो पीने योग्य और बेहद शुद्ध होगा। इस दावे के पीछे एक खास तकनीक विकसित हुई है। जिस पर मशीनें बनने लगी हैं. बिक्री भी शुरू कर दी है।
दक्षिण भारत के चेन्नई में कुछ लोग ऐसी मशीनों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जो हवा से पानी निकालने की तकनीक पर बनी हैं. वाकई पानी निकल भी रहा है और शुद्ध भी। इस तकनीक को वायुमंडलीय जल उत्पादन यानी एटमॉस्फेरिक वाटर जनरेटर कहा जाता है। यह सुनने में भले ही आम बात लगे, लेकिन इस समय यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
यह तकनीक और मशीन क्या है? – मौसम की तमाम खबरों से गुजरते हुए आपने ह्यूमिडिटी शब्द तो सुना ही होगा। हवा में पानी की उपस्थिति से ही इस शब्द का अर्थ समझ में आता है। एटमॉस्फेरिक वाटर जनरेटर उसी तकनीक पर काम करता है जिससे हवा में मौजूद पानी को तरल के रूप में निकाला जा सकता है। यह मशीन बिजली से चलती है, जिसमें कॉइल लगे होते हैं। इनकी सहायता से वायु में उपस्थित जल संघनित होकर द्रव रूप में आ जाता है। इस मशीन में फिल्टर लगे हैं, जिससे पानी शुद्ध रूप में मिलता है।
देश में पहली बार वॉटरमेकर नाम की कंपनी ने 2005 में इस तरह की मशीन शुरू की थी। इस कंपनी को शुरू करने वाले मेहर भंडारा ने एक मीडिया समूह को बताया कि शुरुआत में इन मशीनों को लेकर मुश्किलें आईं, लेकिन पिछले तीन साल से इनकी बिक्री शुरू हो गई है। यह कंपनी घरों, स्कूलों और क्लीनिकों में हवा से पानी निकालने वाली मशीनों की आपूर्ति कर रही है।
कोलकाता की ऐसी ही एक कंपनी है एक्वा, इसके प्रमुख नवकरण बग्गा कहते हैं कि यह मशीन आपको पानी का एक स्वतंत्र स्रोत देती है, जिसके लिए आपको किसी और पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. हैदराबाद स्थित मैत्री एक्वाटेक ने इस मशीन का नाम मेघदूत रखा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने ऐसी एक लाख मशीनें बनाने के लिए करार किया है।
अब तक इन मशीनों का इस्तेमाल कॉरपोरेट्स के लिए या फिर लद्दाख जैसे कठिन इलाकों में सेना के लिए किया जाता रहा है। लेकिन, पानी के संकट के चलते अब इन मशीनों को आम जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. मशीनें अब 25 से 100 लीटर पानी उत्पादन की क्षमता वाली बनाई जा रही हैं, जो घरेलू उपयोग के लिए उपयुक्त है।
अब सवाल यह है कि अगर हवा में प्रदूषण के तत्व मिल जाएंगे तो उससे निकलने वाला पानी शुद्ध कैसे होगा। इस संबंध में मशीन बनाने वाली कंपनियां दावा कर रही हैं कि इन मशीनों में फिल्टर तकनीक लगाई गई है, जिससे पानी शुद्ध और पीने योग्य निकलेगा. पानी को पांच चरणों में फिल्टर किया जाएगा और ये फिल्टर चरण कचरा हटाने, प्री कार्बन, पोस्ट कार्बन, खनिज गुणवत्ता सुधार और यूवी फिल्टर हैं। इसलिए अब दुआ करें कि उमस बनी रहे।
इन मशीनों के आने के बाद फायदा यह होगा कि आपको पानी के लिए किसी दूसरे स्रोत पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि इसके लिए एक शर्त होगी। यानी अगर हवा में नमी ज्यादा हो तो ही पानी निकल सकता है। यानी अगर हवा में नमी 20 फीसदी से कम है तो यह मशीन पानी नहीं निकालेगी।