खास खबर: भारतीय स्टार्टअप, निवेश में आई भारी गिरावट
रायपुर/सूत्र: भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में पिछले कुछ सालों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। समय के साथ इसकी परिपक्वता और मजबूती के कारण सभी विदेशी रेटिंग एजेंसियां वैश्विक मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि का आकलन कर रही हैं। इसके साथ ही स्टार्टअप कंपनियों को रोजगार के सबसे बड़े सेक्टर के तौर पर देखा जा रहा है. एक तरफ भारत सरकार अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनने का जश्न मना रही है। वहीं, स्टार्टअप कंपनियों में निवेश को लेकर हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े किए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में स्टार्टअप कंपनियों में वेंचर कैपिटल (वीसी) निवेश में 38 फीसदी की कमी आई है। इसमें बड़ी संख्या में यूनिकॉर्न कंपनियां हैं। इसे वैश्विक मंदी के साइड इफेक्ट के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन यूनिकॉर्न कंपनियों में घटते पूंजी निवेश और बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी से साफ है कि इस सेक्टर में निवेशकों की दिलचस्पी कम होती जा रही है. यह कहना जल्दबाजी होगी कि स्टार्टअप 2001 के डॉट-कॉम बुलबुले को पूरा करेंगे या नहीं, लेकिन संकेत पहले से ही बज रहे हैं।
दरअसल, ग्लोबलडाटा ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि वित्तीय सौदों के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2022 में भारत में 20.9 अरब डॉलर के कुल 1,726 वेंचर कैपिटल फाइनेंसिंग सौदे हुए. और 2021 में, 33.8 बिलियन डॉलर के 1,715 सौदे हुए। इस पूरे परिप्रेक्ष्य को पूंजी निवेश तक सीमित करके सोचना उचित नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में, स्थापित कंपनियों की तरह, स्टार्टअप कंपनियों में संस्थापकों के बीच कॉर्पोरेट अनियमितताओं, शासन और वित्तीय हेराफेरी के मामले सामने आए हैं।
यह इस बात का संकेत है कि नई सोच और तकनीक से दुनिया को चकाचौंध करने वाली स्टार्टअप कंपनियों का भी वही हश्र होने वाला है, जो पुराने तौर-तरीकों पर चलने वाली कंपनियों का होता है। स्टार्टअप्स के नाम से शुरू की गई कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड होती हैं और बाजार से पूंजी जुटाने के नाम पर अपने वित्तीय लाभ को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती हैं। यह बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बिना मूल्यांकन के भी भर्ती करता है ताकि निवेशकों को लगे कि कंपनी बढ़ रही है। धूमधाम से आईपीओ लाता है। शेयर उल्टा गिर जाते हैं और उनके शेयर धारकों को नुकसान उठाना पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण नायका, पेटीएम और जोमैटो जैसी कंपनियां हैं।