जानिए : मिल्कमैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर, वो शख्स जो खुद नहीं पीता था दूध

रायपुर : दुनिया के सबसे लोकप्रिय दूध ब्रांड में से एक अमूल का कारोबार आज की तारीख में अरबों का है। इसने न केवल गुजरात के गरीब किसानों की किस्मत बदल दी, बल्कि देश के लिए एक ऐसी मिसाल भी बन गई कि दूध की कमी से गुजर रहे देश में ऐसी श्वेत क्रांति हो गई कि दूध की नदियां बहने लगीं। अब देश में दूध का अकाल नहीं है। इसका श्रेय डॉ. वर्गीज कुरियन को ही जाता है। 09 सितंबर 2012 को 90 साल की उम्र में गुजरात के नाडियाड में उनका निधन हुआ था।

फ़ाइल फोटो – डॉ. वर्गीज कुरियन

कुरियन देश के सबसे बड़े डेयरी उत्पाद ब्रांड अमूल (AMUL) के संस्थापक थे। अमूल ने न केवल देश में दूध की कमी को समाप्त किया, बल्कि इसके माध्यम से देश में दूध का इतना उत्पादन शुरू हुआ कि गांव भी समृद्ध हो गए और देश दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ।

वर्ष 1945-46 में सरदार वल्लभभाई पटेल ने दूध के लिए सहकारी योजना की नींव रखी। उसके बाद 1946 में इसे सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत किया गया। कुरियन ने 1949 में अमूल डेयरी की शुरुआत की। फिर उन्होंने जो कुछ भी किया, वह इतिहास बनाते चले गए।

फ़ाइल फोटो

जिस समय देश को आजादी मिली उस समय खाद्यान्न की कमी थी साथ ही दूध उत्पादन की स्थिति भी बहुत खराब थी। ऐसे समय में जब भारत में दूध की कमी थी, कुरियन के नेतृत्व में भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ।

उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के साथ मिलकर खेड़ा जिला सहकारी समिति की स्थापना की। वर्ष 1949 में उन्होंने गुजरात के दो गांवों को सदस्य बनाकर डेयरी सहकारी संघ की स्थापना की। कुरियन भैंस के दूध से पाउडर बनाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे।

शुरुआत में कंपनी की क्षमता 250 लीटर प्रतिदिन थी। वर्तमान में अमूल कंपनी के कुल 7.64 लाख सदस्य हैं। कंपनी रोजाना 33 लाख लीटर दूध एकत्र करती है। कंपनी की क्षमता 50 लाख लीटर प्रतिदिन है। जो दुनिया के दूध उत्पादन का 1.2 प्रतिशत हिस्सा है।

1960 के दशक में भारत में दूध का उत्पादन 20 मिलियन टन हुआ करता था, जो 2011 में डॉ. वर्गीज कुरियन के कार्यकाल में बढ़कर 122 मिलियन टन हो गया। रिपोर्ट्स का कहना है कि भैंस के दूध से मिल्क पाउडर बनाने का आइडिया भी कुरियन के दिमाग की उपज था, जबकि पूरी दुनिया में उस समय सिर्फ गाय के दूध से मिल्क पाउडर बनाया जा रहा था. न केवल दुग्ध उत्पादन बल्कि अन्य दुग्ध उत्पादों के साथ खाद्य तेल के उत्पादन में भी कुरियन हमेशा दूर-दराज का सामान लाने में माहिर रहे हैं।

अमूल की सफलता पर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य जगहों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। NDDB ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ शुरू किया, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बन गया।

कुरियन एक इंजीनियर और मैनेजर भी थे। कायरा मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन से जुड़े कुरियन की प्रबंधन क्षमता इतनी अद्भुत थी कि उन्होंने ग्रामीणों को जोड़कर भारत का सबसे बड़ा डेयरी उद्योग बनाया। इंजीनियरिंग और प्रबंधन के बेजोड़ कौशल ने आधुनिक भारत के सहकारी आंदोलन और डेयरी आंदोलन को दिशा दी, जिससे किसान आत्मनिर्भर हुए और भारत का भी विकास हुआ।

भारत के मिल्कमैन बने कुरियन के निजी जीवन से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाले और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर हुए शख्स ने खुद दूध नहीं पिया। वह कहते थे, मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह पसंद नहीं है।

कहा जाता है कि यदि आप किसानों और किसी भी संगठन के साथ तालमेल देखना चाहते हैं, तो अमूल चलाने वाले सहकारी संगठन के बारे में जरूर जानें, जिसने न केवल दूध इकट्ठा करने के लिए एक सुनियोजित नेटवर्क तैयार किया, बल्कि उचित देखभाल, स्वास्थ्य निगरानी और सहायता भी की।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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