दुनिया में सुसाइड यानी आत्महत्या एक बड़ी समस्या

रायपुर : आत्महत्या पूरी दुनिया में एक बड़ी समस्या बन गई है। पहले ऐसा माना जाता था कि वृद्ध लोगों में आत्महत्या का खतरा अधिक होता है, लेकिन अब युवा और किशोर भी आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा रहे हैं। हाल ही में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने भारत में वर्ष 2020 के लिए आत्महत्या के आंकड़े जारी किए। इसमें यह पाया गया कि देश में 18 साल से कम उम्र के 11000 से ज्यादा किशोरों ने मौत को गले लगा लिया।

इनमें 5392 लड़के और 6004 लड़कियां थीं। ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस’ के मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि किशोरों को आत्महत्या से बचाने के लिए माता-पिता किन बातों का ध्यान रख सकते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के चलते ज्यादातर किशोर आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठा लेते हैं। इसमें अत्यधिक तनाव, अस्वीकृति, असफलता, ब्रेकअप, स्कूल की कठिनाइयाँ, पारिवारिक समस्याएं, करियर की चिंता, मानसिक विकार सहित कई कारण शामिल हैं। इसके अलावा भी कई कारण किशोरों को आत्महत्या की ओर धकेलते हैं। जिन किशोरों ने एक बार आत्महत्या का प्रयास किया है, उन्हें दोबारा ऐसा करने का खतरा होता है। ऐसे मामलों में माता-पिता को विशेष ध्यान रखना चाहिए।

जैसे- सुसाइड के बारे में लिखना या बात करना, सामाजिक जीवन से बिल्कुल दूरी बना लेना, अत्यधिक मूड स्विंग से परेशान होना, शराब या नशीली दवाओं का सेवन। निराश और असहाय महसूस करना, खाने-पीने, सोने के पैटर्न में बदलाव। खुद को चोट पहुंचाने जैसी एक्टिविटी, अत्यधिक स्ट्रेस, एंजाइटी या डिप्रेशन, पर्सनैलिटी में बहुत ज्यादा बदलाव होना,  अचानक फ्रेंड सर्कल पूरी तरह बदलना।

माता-पिता को किशोरों से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करनी चाहिए। यदि वे मानसिक रूप से परेशान, उदास या अवसाद जैसी समस्या से पीड़ित हैं तो माता-पिता को उनकी मदद करनी चाहिए और उन्हें सही रास्ता दिखाना चाहिए। मानसिक विकार से बचाव के लिए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। विशेषज्ञों से मिल कर ऐसी समस्याओं के लिए सुझाव लिए जा सकते हैं।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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