आदिवासियों पर कार्रवाई के विरोध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का अनिश्चितकालीन धरना स्थगित

गरियाबंद: जिले के मैनपुर विकास खंड अंतर्गत उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व कोर एवं बफर जोन वन भूमि में अनेक वर्षों से बसे आदिवासियों को उप निदेशक उदंती सीतानदी अभ्यारण तथा वन अमले के द्वारा मारपीट कर खदेड़ने तथा अभ्यारण क्षेत्र में बसे गांवों को उजाड़ने के विरोध में चल रहा गोंगपा का विरोध प्रदर्शन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।

गोंगपा जिला अध्यक्ष टीकम नागवंशी के नेतृत्व में अभ्यारण क्षेत्र के सैंकड़ो आदिवासी महिला पुरुष 9 मार्च से नगर के गांधी मैदान में धरने पर बैठे थे। सोमवार 11 मार्च धरना स्थगित किया गया। टीकम नागवंशी के अनुसार धरना फिलहाल स्थगित किया जा रहा है। लोकसभा चुनावों के बाद हम बड़ी संख्या में रायपुर में घेराव करेंगे। धरना स्थगित किये जाने के पूर्व गोंगपा द्वारा महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया।

क्या है आरोप      

टीकम नागवंशी के अनुसार टाइगर रिजर्व कोर बफर जोन में बसे  आदिवासी गांवों को उजाड़ दिया गया,लोगों को घरों से बेघर कर दिया गया मारपीट की गई। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों पर 5 वीं अनुसूची, पेशा एक्ट, ग्राम सभा तथा वन अधिकार अधिनियम के तहत कार्यवाही होनी चाहिये। मामले की शिकायत कलेक्टर गरियाबंद, अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग रायपुर (छग) मानव अधिकार आयोग रायपुर, महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन तक की गई है। किन्तु कार्यवाही नहीं होने पर 9 मार्च से धरना प्रदर्शन किया गया।

गोंगपा जिलाध्यक्ष कहते हैं कि वन अधिकार अधिनियम 2005 के तहत क्षेत्र के भूमिहीन लोगों को न्याय नहीं मिला है। उल्टे ग्राम पंचायत साहेबिन कछार के आश्रित ग्राम इचरादी, ग्राम पंचायत कोयबा के आश्रित ग्राम सोरनामाल, ग्राम पंचायत सिहारलाटी के आश्रित ग्राम गोहरामाल, डुमाघाट के आश्रित ग्राम छातीकोट, ग्राम पंचायत कुहिमाल के आश्रित ग्राम चारझोला, साहेबिनकछार के ग्राम दशपुर,ग्रा.प. बुढ़घेलटप्पा के आश्रित ग्राम चिपाडपानी, ग्रा.प.धनोरा के ग्राम पीपलखूंटा, चिखली के आश्रित ग्राम छैला, ग्राम पंचायत जांगड़ा के आश्रित ग्राम बरगांव कुररुभाटा, ग्रा. प.इंदागांव, ग्राम पंचायत कुचेंगा के आश्रित ग्राम नवापारा, कोकड़ी के आश्रित ग्राम टाँगरान, आदि गांव के काबिज जमीन घर मकान को उजाड़ दिया गया। 

बड़ा सवाल

टाइगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2023 में गुगल मैप के आधार पर वर्ष 2008 से 2020 के मध्य वन भूमि पर आदिवासियों को अनुचित तरीके से काबिज बताकर गांवो को उजाड़ा गया। अब सवाल उठता है कि जिस रिजर्व क्षेत्र के लिए वर्षों से अलग विभाग और अमला है, जो महीने दर महीने सरकारी तनख्वाह वनों की सुरक्षा के नाम पर ले रहा है, 10 से 12 वर्षो के बीच, जब लोगों ने वहां बसना शुरू किया, जंगल काटकर खेती की जमीन तैयार कर चुके तब तक वन कर्मी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कैसे कर रहे थे।

राष्ट्रीय पटल पर चिन्हित उदन्ती सीतानदी टाइगर रिजर्व के कोर और बफर जोन एरिया में वन कर्मियों के रहते इतने बड़े पैमाने पर वन क्षेत्र के बड़े भूभागों पर अतिक्रमण कैसे हो गया? गांव के गांव बस गये ,इतना ही नही इन बसाहटों में शासन की मूलभूत सुविधाएं यथा हैंडपंप स्कूल ग्रामीण सड़क सौर ऊर्जा भी उपलब्ध हो रही थी।

आरोप है कि वर्ष 2006 से 2023 तक जिला मुख्यालय से लेकर वन परिक्षेत्र में पदस्थ वन अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा अपने निजी हित व स्वार्थ में कोर एवं बफर जोन एरिया में अतिक्रमण करवाया गया।गोंगपा की मांग है कि भारत सरकार वन अधिनियम 1972 की धाराओं के तहत वर्ष 2006 से 2023 के मध्य रिजर्व क्षेत्र में पदस्थ वन अधिकारियों/ कर्मचारियों पर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाये।

एक तस्वीर ये भी

उदंती सीतानदी अभ्यारण क्षेत्र में लगातार की गई कार्यवाही के बाद उप निदेशक वरुण जैन सुर्खियों में है, उन पर आरोप प्रत्यारोप भी लगाये जा रहे हैं। वही दूसरी तरफ अभ्यारण क्षेत्र से अब हाथी तेंदुआ मोर जैसे जंगली पशु पक्षियों के स्वछंद विचरण की तस्वीरें भी सामने आ रही है। उदन्ती सीतानदी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में लगाये गये ट्रेप कैमरों में कैद इन स्वछंद विचरण करते जानवरों की तस्वीरें वन विभाग द्वारा जारी की गई है।

Show More

KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

Related Articles

Back to top button
Translate »