सरकारी जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों कि निजीकरण की संभावना

रायपुर : केंद्र सरकार निजीकरण के लिए ओरिएंटल इंश्योरेंस या यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में से किसी एक पर विचार कर सकती है। इसका कारण यह है कि कई बार कैपिटल इन्फ्यूजन के बाद इन दोनों कंपनियों की वित्तीय हालत बेहतर हो गई है। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी है। यह निजीकरण 1 अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में होना है।

सरकारी जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की वित्तीय हालात सुधारने के लिए सरकार चालू वित्त वर्ष में इनको 3000 करोड़ रुपए दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक, वित्तीय हालत सुधरने के बाद प्राइवेट सेक्टर में ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को खरीदने की इच्छा हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है और इसमें थोड़ा समय लग सकता है। हालांकि, न्यू इंडिया एश्योरेंस के निजीकरण की संभावना को भी खारिज नहीं किया जा सकता है। इस कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी 85.44% है।

योजना के मुताबिक, नीति आयोग इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण की सिफारिश सरकार को देगा और डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट DIPAM निजीकरण के लिए प्रस्ताव तैयार करेगा। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में बड़े पैमाने पर निजीकरण का ऐलान किया था। इसमें दो सरकारी बैंक और 1 जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण भी शामिल है।

वित्तीय सेक्टर के विनिवेश की रणनीति के तहत, सरकार ने लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया LIC का इनिशियल पब्लिक ऑफर IPO लाने का फैसला किया है। साथ ही सरकार 1 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में IDBI बैंक में से अपनी 100% हिस्सेदारी भी बेचेगी। केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य तय किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल राष्ट्रीय बीमा, ओरिएंटल बीमा और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को कैपिटल सपोर्ट देने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।  साथ ही कैबिनेट ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड NICL की अधिकृत शेयर पूंजी को 7500 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का फैसला किया था। इसके अलावा, सरकार ने अलग से यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड UIICL और ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड OICL में 5000 करोड़ रुपये का कैपिटल इन्फ्यूजन तय किया था। उसी बैठक में, कैबिनेट ने NICL, OICL और UIICL के विलय के बजट प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

सरकार ने निजीकरण के लिए चार सरकारी बैंकों का चयन किया है। तीन छोटे बैंक हैं और एक बड़ा बैंक है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक छोटे हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया एक बड़ा बैंक है। सरकार देश में केवल कुछ बड़े सार्वजनिक बैंकों को चलाने के पक्ष में है। जैसे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक। पहले कुल 23 सरकारी बैंक थे। इनमें से कई छोटे बैंकों को पहले ही बड़े बैंकों में मिला दिया गया है। इस बार सरकार ने बजट में दो बैंकों में हिस्सेदारी बेचने की बात कही थी। हालांकि, चार बैंकों के नाम सामने आए हैं।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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