बैंकिंग क्षेत्र की तरह बीमा क्षेत्र का होगा सरलीकरण
रायपुर : साल 2047 तक हर निवासी को बीमा के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है और इसी दिशा में बीमा क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. इस बदलाव के लिए बीमा क्षेत्र के नियमों में बदलाव किया जा रहा है और इस क्षेत्र को पूरी तरह से उपभोक्ता हितैषी बनाया जा रहा है. ताकि उन्हें बीमा खरीदने से लेकर क्लेम करने तक में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
इन सुविधाओं के लिए भारतीय बीमा एवं बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के कानून में संशोधन किया जा रहा है। प्रस्तावित नियम के तहत निजी औद्योगिक कंपनियां भी अपने कर्मचारियों का बीमा खुद करा सकेंगी। औद्योगिक कंपनियों को केवल अपने कर्मचारियों के लिए कैप्टिव बीमा फर्म बनाने की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि ये औद्योगिक कंपनियां किसी और का बीमा नहीं करा पाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ऐसे और भी कई बदलाव ला रही है जिससे बीमा क्षेत्र में प्लेयर्स बढ़ सकें और छोटी कंपनियों को लाइसेंस दिया जा सके. इसके लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए पूंजी निवेश की सीमा को कम करने का प्रस्ताव है। कंपोजिट लाइसेंस देने का भी प्रस्ताव है जिसके तहत कंपनियां जीवन और गैर-जीवन सहित सभी प्रकार के बीमा उत्पाद बेच सकेंगी। अभी लाइफ और नॉन लाइफ के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेना पड़ता है।
बीमा कंपनियों को कर्ज देने के कारोबार के साथ म्युचुअल फंड जैसे कारोबार में उतरने की इजाजत दी जा सकती है ताकि वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें. जल्द ही बीमा से जुड़े संशोधित कानून का प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा जा सकता है. सरकार इस संशोधित कानून को संसद के अगले सत्र में संसद में भी पेश करेगी। इसके अलावा, IRDA ने उपभोक्ताओं के दावों के तत्काल निपटान और उनकी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए EASE लॉन्च किया है।
IRDA के अनुसार, सुगमता का उद्देश्य बैंकिंग उद्योग के समान छोटे शहरों में बीमा संबंधी सेवाओं के वितरण को ले जाना है, ताकि पॉलिसीधारक को पॉलिसी खरीदने से लेकर अपना दावा दर्ज कराने या किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करने में कोई समस्या न हो। बीमा कंपनियों को किसी उत्पाद के लॉन्च के लिए पहले की तरह कई अनुमोदन प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा और वे उत्पाद लाने के बाद आईआरडीए को सूचित कर सकती हैं। मानसिक बीमारी से लेकर दिव्यांगों तक के लिए बीमा उत्पाद लाने की तैयारी चल रही है।