विश्व पुस्तक दिवस

प्रतिनिधि/रायपुर : विश्व पुस्तक दिवस भारत में जहां विश्व पुस्तक दिवस को सामूहिक तौर पर मनाने की स्थितियां नहीं हैं ,वहीं इस दिन को सही तरीके मनाने का मौका भी है. इस दिन को मनाना का उद्देश्य लोगों में पुस्तकों के प्रति रुचि और जागरुकता विकसित करना है. इस लिहाज से देश में जहां लोग अपने घरों में बंद हैं, वे अपनी कोई प्रिय पुस्तक पढ़कर इस दिन को मना सकते हैं. इस साल विश्व पुस्तक दिवस पर कोरोना वायरस का साया मंडराया है. इस साल यूनिस्को ने भी कोरोना काल में किताबों की बढ़ती अहमित को रेखांकित किया है।

विश्व पुस्तक दिवस का इतिहास

बता दें कि 1995 में पहली बार विश्व पुस्तक और प्रकाशनाधिकार दिवस मनाने की तारीख यूनेस्को द्वारा तय की गई थी. यूनेस्को द्वारा 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक और प्रकाशनाधिकार दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. क्योंकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, इसी दिन विलियम शेक्सपियर, व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल सेजिया वैलेजो का जन्म और मृत्यु वर्षगाँठ, मीगुअल डी सरवेंटस, जोसेफ प्ला, इंका गारसीलासो डी ला वेगा की मृत्यु वर्षगाँठ और मैनुअल वैलेजो, मॉरिस द्रुओन और हॉलडोर लैक्सनेस की जन्म वर्षगाँठ होता है।

पुस्तकें ज्ञानवर्धन तो करती हैं, साथ ही साथ वे हमारा मनोरंजन भी करती हैं लेकिन जब से मनोरंजन के अन्य साधन बढ़ गए तब से लोग किताब पढ़ना कम कर चुके हैं. किताबें हमारी विरासत का खजाना है. पाठकों को अधिक से अधिक अच्छी किताबें पढ़ने के लिए और ज्ञान हासिल करने के लिए पुस्तक दिवस मनाया जाता है. विश्व में कई सारे लोग हैं, जिनकी पहुंच में पुस्तकें नहीं हैं, ऐसे लोगों तक यह सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से भी इस दिन को मनाया जाता है।

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