भारत फ्रोजन फूड मार्केट में चीन को पटखनी देने की तैयारी में

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भारत के कृषि निर्यात का 25% हिस्सा है और प्रति वर्ष लगभग 8% की दर से बढ़ रहा है.

नई दिल्ली: वैश्विक बाजार में फ्रोजन फूड उत्पादों की मांग बढ़ी है, सरकार फ्रोजन फूड का निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही है. क्योंकि कोरोना वायरस के चलते ग्राहक चीन के उत्पादों से दूरी बना रहे हैं. कोरोना वायरस चीन से ही पूरी दुनिया में फैला है. ब्लूमबर्ग को भेजे ई-मेल इंटरव्यू में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि भारत के लिए मुख्य रूप से पूर्वी एशियाई देशों में एक बड़ा मौका है.इन देशों में फ्रोजन फूड की मांग काफी ज्यादा है. इस मौके को भुनाने के लिए सरकार देश की फ्रोजन फूड कंपनियों की हर संभव मदद कर रही है।
भारत वैश्विक खाद्य उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर है. देश में कुल उत्पादन के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी खाने-पीने की प्रोसेसिंग हो पाती है. ऐसा इसलिए है कि देश में कोल्ड स्टोरेज की भारी कमी है. सरकार का यह प्रयास देश को विदेशी मुद्रा जुटाने के साथ किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा, मैं प्रसंस्कृत और मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए बड़ा मौका देख रही हूं. हमने फ्रोजन फूड और रेडी-टू-ईट सेगमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है. ” देश में ऑर्गेनिक फूड के लिए भी पर्याप्त संसाशन मौजूद हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भारत के कृषि निर्यात का 25% हिस्सा है और प्रति वर्ष लगभग 8% की दर से बढ़ रहा है. 2018-19 के अप्रैल-नवंबर के दौरान प्रसंस्कृत खाद्य और अन्य उत्पादों का कुल निर्यात लगभग 1200 करोड़ था. उन्होंने कहा कि सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को आगे बढ़ाने में मदद के लिए कोल्ड स्टोरेज चेन, आवागमन और मेगा फूड पार्कों की क्षमता बढ़ा रही है. भारत ने ने 2022 तक कृषि निर्यात के मूल्य को बढ़ाकर 60 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है।