जीएसटी के नए नियम से बढ़ सकती है, कारोबारियों की परेशानी
रायपुर : एक अप्रैल से प्रस्तावित जीएसटी के नए नियमों को लेकर कारोबारी तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि डिफॉल्टर व्यापारियों की सजा ईमानदार कारोबारियों को नहीं दी जा सकती। विभिन्न प्रकार के एमएसएमई संगठन वित्त मंत्रालय से इस तरह के नियम को वापस लेने का अनुरोध करने जा रहे हैं। एक अप्रैल से लागू होने वाले जीएसटी नियमों के मुताबिक, अगर कच्चे माल के सप्लायर ने जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है या किसी तरह की कोई चूक की है, तो उन निर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं दिया जाएगा, जिन्होंने वह सप्लायर से कच्चा माल लिया है।
कारोबारियों ने कहा कि इस नए नियम से उन्हें अपने सप्लायर का भी ध्यान रखना होगा कि वह रिटर्न दाखिल करता है या नहीं। उन्होंने कहा कि रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले या गलती करने वाले व्यापारियों को दंडित करना सरकार का काम है, लेकिन उस व्यापारी की वजह से हम जैसे निर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान रोकना उचित नहीं है। एक चार्टर्ड एकाउंटेंट ने कहा कि सरकार को नियम में संशोधन करना पड़ सकता है क्योंकि कई ऐसे मामले अदालत में जा चुके हैं जहां चूक करने वाले कारोबारियों को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि इस तरह के नियम लाने के पीछे सरकार का मकसद यह हो सकता है कि डिफॉल्टर प्रवृत्ति वाले व्यापारियों का व्यापार न हो और उनका बहिष्कार किया जाए।
एक अप्रैल से जीएसटी में नए पंजीकृत व्यापारियों से माल लेने पर भी एक समय तक के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। इसलिए शायद सरकार ने यह फैसला लिया है, लेकिन इस नियम के लागू होने से लोग जीएसटी प्लेटफॉर्म पर नए पंजीकृत व्यापारियों से सामान खरीदने से कतराएंगे। कारोबारियों ने कहा कि सरकार को इन प्रस्तावों पर विचार करना चाहिए, जो एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे।