पढ़ें रेवती की कहानी कैसे? आमामोरा जैसे दुर्गम क्षेत्र में 16 करोड़ का किया लेनदेन

गरियाबंद : जिला मुख्यालय से  50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओडिशा सीमा से लगे गांव आमामोरा जो की आदिवासी बाहुल्य, घने जंगलो से घिरा हुआ है। यहां पहुंचने के लिए कच्ची पगडंडी और सड़को से आवागमन भी दूरूह हो जाता है। इस क्षेत्र में आज भी विशेष पिछड़ी जनजाति (कमार, भुंजिया) की बहुलता है। ऐसे दुर्गम क्षेत्र में बैंक का विकल्प बनकर श्रीमती रेवती निषाद ने लोगों के आर्थिक लेनदेन को सुगम बनाया है। कोरोना काल में भी उनका आत्मविश्वास नहीं डिगा।

पंचायत क्षेत्र के अलावा आसपास के पंचायतो में भी शासकीय योजनाओं जैसे वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रितों को पेंशन, रोजगार गारंटी योजना की राशि, वनोपज संग्रहण की राशि, किसान सम्मान निधि राशि, कोविड सहायता राशि आदि अनेक प्रकार की लगभग 16 करोड़ 8 लाख रूपये की राशि का लेनदेन कर जिला स्तर पर पहले स्थान पर रहकर ये साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी महिलाएं ठान ले तो दिये गए लक्ष्य से बढ़कर कार्य कर सकती है।

जनपद की सीईओ श्रीमती शीतल बंसल ने बताया कि गायत्री स्व सहायता समूह की श्रीमती रेवती निषाद द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड-19) संक्रमण के दौरान जिले के अंतर्गत गरियाबंद विकासखंड के एक छोटे से ग्राम धवलपुरडीह, आमामोरा में बिहान योजना के अंतर्गत यथासंभव मास्क और सेनेटाईजर का इस्तेमाल कर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए लोगो को न केवल जागरूक किया बल्कि संकट के समय में भी आगे बढ़कर लोगों की आर्थिक जरूरतों को पूरा किया।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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